For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"फीका तिलक, मीठी राखियां" (लघुकथा)

"आज सही मौका है इसे सबक़ सिखाने का! बड़ा आया राखी बंधवाने वाला हमारी बिरादरी की लड़की से!"
"हां, ये वही तो है न 'याक़ूब', जो कल तेरी गाय के बछड़े की पूंछ पकड़ कर मज़े ले रहा था अपने दोस्तों के बीच! .. मारो साले को एक शॉट इसी खिलौना बंदूक से! .. और मैं फैंकता हूं ये पत्थर! आज यह राखी न बंधवा पाये अपनी पड़ोसन सविता से!"
निशाने साध कर दोनों ने याक़ूब पर वार किये ही थे कि तभी पास के मंदिर से घंटी की आवाज़ें और एक मस्जिद से अज़ान सुनाई दी! उन दोनों दोस्तों के क़दम वहीं थम गये। कुछ पल बाद देखा तो याक़ूब रक्तरंजित माथे के साथ जा चुका था सविता के घर। जब वे दोनों दोस्त वहां पहुंचे, तो याक़ूब के माथे पर पट्टी और कलाई पर राखी बांधी जा चुकी थी और वह सविता को कोई उपहार दे रहा था! सविता अब उन दोनों दोस्तों को चौकी पर बैठने के लिए बुला रही थी।
"तुम्हारा किया तिलक फीका था इस राखी और पट्टी के आगे! रक्षाबंधन मुबारक हो तुम दोनों को भी!" यह कहकर याक़ूब वहां से चला गया।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 598

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 13, 2018 at 8:42pm

मेरी इस ब्लॉग पोस्ट पर उपस्थित होकर, समय देकर अपनी राय सांझा करने और मेरी हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरमा अपर्णा शर्मा साहिबा मुहतरम जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहिब, जनाब विजय निकोरे  साहिब, मुहतरम आशीष यादव साहिब, जनाब समर कबीर साहिब और जनाब  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' साहिब।

Comment by TEJ VEER SINGH on August 28, 2018 at 2:15pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी। बेहतरीन लघुकथा।

Comment by Samar kabeer on August 27, 2018 at 6:28pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छा पैग़ाम देती उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Arpana Sharma on August 27, 2018 at 3:33pm

भाईचारे का संदेश देती अच्छी लघुकथा रची है। 

रक्षाबंधन पर्व की बधाई।

Comment by vijay nikore on August 27, 2018 at 2:20pm

लघुकथा आपकी ज़मीन है, लघुकथा पर आपका अधिकार है.... एक के बाद एक इतनी अच्छी लघुकथा आनन्द देती है। हार्दिक बधाई , आदरणीय शेख उस्मानी जी।

Comment by नाथ सोनांचली on August 27, 2018 at 2:02pm

आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी जी सादर अभिवादन। बढ़िया भाई बंधुत्व का संदेश देती लघुकथा लिखी आपने। मैं बनारस से हूँ जहाँ की गंगा जमुनी तहजीब हमें यहीं सिखाती है। यहाँ शिवालय में घण्टा और मस्जिद का अजान एक साथ सुनकर दिव्य अनुभूति होती है। बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 27, 2018 at 10:16am

बहुत बेहतरीन कथा हुयी है । बहुत बहुत बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
33 minutes ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
37 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
17 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
18 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
20 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
20 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
20 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service