For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


"अपने पुत्र को समझाओ गांधारी। वासुदेव कृष्ण की माँग सर्वथा उचित है। 'पांडवो के लिये पाँच गाँव!' भला इससे कम और क्या हो सकता है?’’
"नहीं आर्यपुत्र, अब वह समझाने की सीमा में नहीं रहा। पानी सिर से ऊपर बहने लगा है।" गांधारी की आवाज सदैव की भांति स्थिर थी। 'मैंने आप से अनगिनित बार उसे समझाने के लिये कहा लेकिन आप के 'पुत्र-मोह' ने उसे कभी समझाना ही नहीं चाहा। परिणामतः हम जहां आ चुके है, वहां से लौटना संभव नहीँ।"
........... युद्ध की कालिमा छंट चुकी थी लेकिन सभी पुत्रों को खो चुके धृतराष्ट्र आज अतीत के अँधेरों में खोये हुए थे कि अनायास ही गांधारी के स्वर से उनकी तंद्रा भंग हो गयी। "स्वामी कहाँ खोये हुए है आप?"
'हां गांधारी, अतीत में जा पहुंचा था। आज मुझे अहसास हो रहा है कि मैनें पुत्रों के प्रति आवश्यकता से अधिक मोह रखने की जो भूल की है, वही हमारे पुत्रों के विनाश का कारण बनी।
"हां स्वामी, शायद हम स्वयं ही अपने पुत्रों के हत्यारे है।" गांधारी की आवाज भी शोकाकुल थी। "लेकिन भूल तो मैंने भी की थी स्वामी, जो शायद आप के मोह से भी कहीं बड़ी थी।"
"कैसी भूल गांधारी?"
"अपनी आँखों पर पट्टी बांधने की भूल स्वामी। मैंने इस पट्टी से आपकी नेत्रहीनता का अनुगमन नहीं किया वरन् आपकी समस्त गलत विचारधाराओं की अनुगामी बनकर जीती रही सदा।
"लेकिन तुमने तो अपना पतिधर्म ही निभाया था गांधारी!"
"हाँ पतिधर्म!" गांधारी का स्वर पीड़ा से भर गया। "लेकिन यदि मैंने एक बार भी कुछ आगे बढ़कर राजधर्म के लिये भी सोच लिया होता तो शायद कौरव-वंश का इतिहास कुछ और ही होता स्वामी।"
धृतराष्ट्र ख़ामोश थे लेकिन उनकी चुप्पी अतीत की भूल पर पश्चाताप की मोहर अवश्य लगा रही थी।

मौलिक एवं अप्रकाशीत

Views: 572

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nita Kasar on May 25, 2018 at 2:55pm

पति धर्म से बडा राजधर्म होता है।गांधारी को प्रतीक बना उम्दा कथा लिखी है।बधाई कल्पना  जी।बच्चों के संपूर्ण विकास,संस्कारों पर माँ की है परछाईं पड़ती है ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 22, 2018 at 6:31pm

वाह्ह्ह्ह कथा  का दूसरा पहलू ये भी हो सकता है आपने शत प्रतिशत सही कल्पना की है कल्पना जी पूर्णतः सहमत हूँ 

बहुत बहुत बधाई आपको बच्चे बिगड़ने की बहुत कुछ जिम्मेदारी माँ पर आती है .

Comment by Neelam Upadhyaya on May 22, 2018 at 2:20pm

आदरणीया कल्पना भट्ट जी , नमस्कार।  बहुत ही अच्छी प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई। 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on May 21, 2018 at 4:41pm

//अतीत के अँधेरों में खोये हुए ...// ... आरंभिक फ्लैैशबैैक का बहुत बढ़िया मार्गदर्शक प्रयोग!  पौराणिक पात्रों को लेकर एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम को बढ़िया तरीके से लेकर बहुत बढ़िया उम्दा प्रस्तुति के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद और आभार आदरणीया कल्पना भट्ट जी।

Comment by Mohammed Arif on May 21, 2018 at 12:24pm

आदरणीया कल्पना भट्ट जी आदाब,

                                   पौराणिक प्रसंग को आधार बनाकर स्त्री की मनोदशा मेंं झाँकने का अच्छा प्रयास किया आपने । यह लघुकथा कहींं न कहीं स्त्री मन के भीतर के विद्रोह को भी प्रदर्शित कर रही है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service