For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1222 1222 1222 1222


छुपी हो लाख पर्दों में मुहब्बत देख लेते हैं ।
किसी चहरे पे हम ठहरी नज़ाकत देख लेते हैं ।। 1

.

तेरी आवारगी की हर तरफ चर्चा ही चर्चा है ।
यहां तो लोग तेरी हर हिमाक़त देख लेते हैं ।। 2

.

चले आना कभी दर पे अभी तो मौत बाकी है ।
तेरे जुल्मो सितम से हम कयामत देख लेते हैं ।।3

.

बड़ी मदहोश नजरों से इशारा हो गया उनका ।
दिखा वो तिश्नगी अपनी लियाकत देख लेते हैं ।। 4

.

खबर तुझको नहीं शायद तेरी उल्फत में हम अक्सर ।
जमाने भर के लोगों की हिदायत देख लेते हैं ।।5

.

मेरे अहसास का अंदाज तुझको है कहाँ साकी ।
अगर तू है तो ये दुनियाँ सलामत देख लेते हैं ।।6

.

परेशां हो के गुजरे हैं इसी कूचे से हम भी जब।
तुम्हारी मुस्कुराहट में किफ़ायत देख लेते हैं ।।7

.

गज़ब अंदाज़ है उनका गज़ब दरिया दिली उनकी ।
रियाया के लिए वो भी रियायत देख लेते हैं ।।8

.

झटक के जुल्फ वो चलते अदाएं हैं बड़ी क़ातिल ।
हम उनकी आँख की अक्सर शरारत देख लेते हैं ।।9

.

हसीनों से सँभल कर तो यहाँ चलना है मजबूरी।
यहाँ मासूमियत में हम सियासत देख लेते हैं ।।10

.

बहुत बेचैन दिखते हैं ये दीवाने चमन में जब ।
तुम्हारे हुस्न में होती इज़ाफ़त देख लेते हैं ।। 11

.

मौलिक अप्रकाशित

--नवीन मणि त्रिपाठी

Views: 435

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 29, 2018 at 8:47pm

अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय त्रिपाठी जी..

Comment by TEJ VEER SINGH on March 29, 2018 at 11:12am

हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन जी। बेहतरीन गज़ल।

मेरे अहसास का अंदाज तुझको है कहाँ साकी ।
अगर तू है तो ये दुनियाँ सलामत देख लेते हैं ।।6

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 28, 2018 at 10:04pm

आ0 कबीर सर सादर नमन के साथ हार्दिक आभार ।

Comment by Samar kabeer on March 28, 2018 at 10:02pm

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

8वें शैर के सानी मिसरे में,'रियाया' ग़लत है,सही शब्द है "रिआया" ,इसी तरह 'रियायत' ग़लत है,सही शब्द है "रिआयत" देखियेगा ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 28, 2018 at 8:41pm

आ0 मुहम्मद आरिफ़ साहब हार्दिक आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 28, 2018 at 8:40pm

भाई सुरेंद्र इंसान जी सप्रेम नमन । आपको ओबीओ में देख कर बहुत खुशी हुई । आ0 समर कबीर साहब के निर्देशन में लिखने की कोशिश करता रहता हूँ । अभी तो बहुत कुछ सीखना बाकी है । रचना तक आने के लिए एक बार पुनः धन्यवाद ।

Comment by surender insan on March 28, 2018 at 7:23pm

आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी सादर नमन। ग़ज़ल का बेहतरीन प्रयास हुआ है ।दिली दाद कबूल करे जी।

Comment by Mohammed Arif on March 28, 2018 at 5:36pm

मेरे अहसास का अंदाज तुझको है कहाँ साकी ।
अगर तू है तो ये दुनियाँ सलामत देख लेते हैं । वाह!वाह!!  बहुत.ही उम्दा शे'र लगा ।

              एक शानदार ग़ज़ल के लिए दिली मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी ।

             कुछ वर्तनी पर ध्यान दिलाना चाहूँगा जैसे:- बाकी/बाक़ी , जुल्मो/ज़ुल्मों , कयामत/क़यामत ,खबर/ख़बर , जमाने/ज़माने , अंदाज/अंदाज़ , नजरों/नज़रों, गुजरे/गज़रे , मजबूरी/मज़बूरी आदि ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
45 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
9 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
9 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
9 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
9 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
9 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
11 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
11 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service