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ग़ज़ल (वो लगता है आफ़ात करने चले हैं )

(फ़ऊलन--फ़ऊलन--फ़ऊलन--फ़ऊलन)

शुरूए इनायात करने चले हैं |
वो लगता है आफ़ात करने चले हैं |

ख़ुदा ख़ैर पाबंदियाँ हैं नज़र पर
मगर वो मुलाक़ात करने चले हैं |

यक़ीं ही नहीं उम्र ढलने का उनको
जो तब्दील मिर आत करने चले हैं |

खिलाना है फ़िरक़ा परस्तों को मुंह की
वो लोगों फ़सादात करने चले हैं |

मुहब्बत के अंजाम से हैं वो ग़ाफ़िल
जो इसकी शुरुआत करने चले हैं |

भला किस तरह कर दें उसको नुमायाँ
सनम से जो हम बात करने चले हैं |

नज़र में अज़ीज़ों को तस्दीक़ रखना
वो फिर बे जा हरकात करने चले हैं |

आफ़ात --मुसीबत , मिर आत --आइना

( मौलिक व् अप्रकाशित )

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Comment

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Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 12, 2018 at 8:27pm

मुहतरम जनाब विजय साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by vijay nikore on March 12, 2018 at 2:04pm

अच्छी गज़ल के लिए दिल से बधाई

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 11, 2018 at 8:35am

मुहतरम जनाब बासुदेव साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

आपने शेर पर शायद ग़ौर नहीं किया ,लोगों का मतलब जनता से  है ।

शब्द शुरूआत ही है टाइप में  शुरुआत हो गया है।

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on March 11, 2018 at 7:41am

आ0 तस्दीक़ साहिब अच्छी ग़ज़ल हुई है बहुत बधाई।

वो लोगों फ़सादात करने चले हैं | व्याकरण की दृष्टि से  वो लोग उचित प्रतीत होता है। वो लोगों का प्रयोग कहाँ तक ठीक है गुणीजन बताएं।

शुरुआत में बह्र टूट रही है हाँ शुरूआत करने से बह्र ठीक हो जाती है। देखें। सादर।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 9, 2018 at 8:02pm

जनाब श्याम नारायण साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Shyam Narain Verma on March 9, 2018 at 4:38pm
बहुत खूब ! इस सुंदर गजल हेतु बधाई स्वीकारें ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 9, 2018 at 2:57pm

मुहतरम जनाब तेजवीर साहिब, ग़ज़ल पर आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 9, 2018 at 12:38pm

हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी। बेहतरीन गज़ल।

खिलाना है फ़िरक़ा परस्तों को मुंह की
वो लोगों फ़सादात करने चले हैं |

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 9, 2018 at 7:30am

मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by Samar kabeer on March 9, 2018 at 12:03am

जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

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