For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मरीज़-ए-इश्क़ की दवा हकीम कर  सका  नहीं (ग़ज़ल)

मुफाइलुन मुफाइलुन मुफाइलुन मुफाइलुन

बिसात-ए-गैर क्या है जब, नदीम कर सका नहीं।
मरीज़-ए-इश्क़ की दवा हकीम कर  सका  नहीं।।

अदीब से हुए  नहीं  कुछ  एक  काम  आज  तक,

असीर कर  गया  जिसे  फ़हीम  कर सका नहीं।।

लिखीं  पढ़ीं   भले  कई,  कहानियाँ  ज़हान   की,

मगर क़सूर क्या रहा  अज़ीम कर  सका  नहीं।।

मिलान चश्म, चश्म और, क़ल्ब, क़ल्ब का हुआ,

कमाल जो हुआ कभी कलीम  कर  सका  नहीं।।

वज़ूद आम,  आम  और  ख़ास,  ख़ास  का  रहा,

जो काम नून कर गया वो मीम कर सका नहीं।।

हज़ार   कोशिशें   हुईं,   जहाँ-जहाँ    ज़हान   है,

जमाल हो गया मगर नसीम कर  सका  नहीं।।

अज़ीब   दास्तान   'दीप'   की  रही  ज़हान   में,

तबादला किया मगर न'ईम  कर  सका  नहीं।।

-प्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप'

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 720

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by प्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप' on March 2, 2018 at 11:48am

शुक्रिया ज़नाब सुरेंद्र  ज़नाब लक्ष्मण धामी साहिब। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 27, 2018 at 11:22pm

सुंदर गजल हुई है, हार्दिक बधाई ।

Comment by नाथ सोनांचली on February 27, 2018 at 8:01pm

आद0 प्रदीप कुमार पांडेय जी सादर अभिवादन। बहुत बेहतरीन और उम्दा ग़ज़ल। शैर दर शैर मुबारकवाद कुबूल फरमाएं। सादर

Comment by प्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप' on February 26, 2018 at 10:55pm

जनाब समर साहिब!

नसीम स्त्रीलिंग है, इसका इल्म मिसरा कहते वक़्त था, लिहाज़ा शेर उसी बिना पर कहा गया है. अलबत्ता आपका इस्लाह काबिले गौर है, ग़ज़ल में शिरकत, हौसला आफज़ाई और आपके इस्लाह के लिए ममनून-ओ-शुक्रगुज़ार हूँ। 

Comment by प्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप' on February 26, 2018 at 10:51pm

जनाब हर्ष महाजन जी!
ग़ज़ल में शिरकत और हौसला आफज़ाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by Samar kabeer on February 26, 2018 at 6:09pm

जनाब प्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप' जी आदाब,ग़ज़ल अच्छी हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

छटे शैर में 'नसीम' शब्द स्त्रीलिंग है, देखियेग ।

Comment by Harash Mahajan on February 26, 2018 at 4:38pm

आ. प्रदीप कुमार जी आदाब ।

ख्याल के हिसाब से एक बेहतरीन और अच्छी प्रस्तुती । 

बहर के मुतल्लक गुणीजनो का इंतज़ार ।

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी…"
38 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
8 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
15 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
15 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service