For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल...धूल की परतें-बृजेश कुमार 'ब्रज

1222 1222 1222 1222
गुलाबों से किताबों तक समाईं धूल की परतें
जरा देखो तो अब माथे पे आईं धूल की परतें!!

ये किस आगोश ने सारे शहर को घेर के रक्खा
घना है कोहरा या फिर हैं छाईं धूल की परतें?

गया इक वक़्त वो आया न तो सन्देश ही आया
हमीं ने रिश्ते नातों पर चढ़ाईं धूल की परतें

गिला इस बात का उनसे करें भी तो करें कैसे
गमे दिल ने मेरे लब पर सजाईं धूल की परतें

बड़े ही फख्र से छोड़ी थीं अपने गाँव की गलियां
मगर 'ब्रज' को यही गम है कमाईं धूल की परतें
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 906

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 22, 2018 at 8:30pm

आदरणीय तस्दीक़ जी जहाँ तक मेरी जानकारी है तो बैज्ञानिक दृष्टि से कुहरा और कोहरा दोनों ही सही शब्द हैं।कुहरा धरती की निचली सतह पे जलवाष्प,धूल,धुंए का मिश्रण होता है जबकि कोहरा धूल और धुएं से मुक्त होता है।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 22, 2018 at 8:21pm

आदरणीय मोहित जी आपका स्वागत है..

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 22, 2018 at 8:21pm

आदरणीय शर्मा जी आपका हार्दिक आभार..सादर

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on January 22, 2018 at 8:03pm

आदर्णीय बृजेश कुमार जी शानदार ग़ज़ल कहने के लिये बधाई।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 22, 2018 at 5:24pm

जनाब ब्रजेश कुमार साहिब , सही शब्द कुहरा (22)  है ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on January 22, 2018 at 3:31pm

वाह लाजबाब गजल 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 22, 2018 at 2:48pm

आदरणीय सतविंद्र जी हौसलाफजाई के लिए शुक्रिया..

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 22, 2018 at 2:48pm

आदरणीय तस्दीक़ जी आपकी सार्थक समीक्षा के लिए शुक्रगुज़ार हूँ..आपके सुझाव बहुत ही खूबसूरत हूँ...लेकिन दूसरे शेर का सानी में शायद कोहरा सही शब्द नहीं या जो मात्राभार मैं 212 ले रहा हूँ वो सही नहीं है? 'मगरूरियत' शब्द के लिए मैं भी असमंजस में था लेकिन नेट पर कुछ एक जगह देखा तो प्रयोग कर लिया खैर आप कह रहे हैं तो ये शब्द नहीं होगा।बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 22, 2018 at 2:41pm

आदरणीय शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार...सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 22, 2018 at 2:40pm

आदरणीय सलीम साहब आपका हार्दिक धन्यवाद..सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
18 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service