For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शरद ऋतु गीत

झम झम रिमझिम पावस बीता
अब गीले पथ सब सूख गए
गगन छोर सब सूने सूने
परदेश मेघ जा बिसर गए
हरियावल पर चुपके चुपके
पीताभा देखो पसर गई
हौले हौले ठसक दिखा कर
चंचल चलती पुरवाई है -
लो! शरद ऋतु उतर आई है I

दशहरा, नवरात्र, दीवाली
छठ, दे दे खुशियाँ बीत गए
पक कट गए मकई बाजरा
पीले पीले भी हुए धान
रातें भी बढ़ कर हुईं लम्बी
घटते घटते गए दिनमान
विरहन का तन मन डोल रहा
खुद खुद से ही कुछ बोल रहा-
प्रियतम की चिट्ठी आई है -
लो! शरद ऋतु उतर आई है I

प्रवासी पक्षी झीलों के तट
अठखेलियाँ करते निराली
जब किलकारियां नभ गुँजातीं
गुमसुम हो देखें अली- आली
देशी परिंदे दुबके पकड़ें
पत्तों के झुरमुट में डाली
शीत निद्रा कुछ पे छाई है -
लो! शरद ऋतु उतर आई है I

बच्चे हों बूढ़े, ठुर-ठुर करते
ओस लगी जब दूब पे जमने
धूप के पीछे हर इक भागे
साँसों से भाप लगी उड़ने
पत्ते कुछ झड़ने को आतुर
गेहूं -ज्वारे बढ़ते तत्पर
धुंध ने जान अटकाई है -
लो! शरद ऋतु उतर आई है I

पर्वत बर्फ से लकदक सारे
लसित रजत से अजब नजारे
वितान श्वेताम्बर शंकु तरुवर
मानो कहते- हम कब हारे
अलाव भरता जीवन में रस
बढ़े कथा करे कोई न बस
दरिया की गति सुस्ताई है -
लो! शरद ऋतु उतर आई है I

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 790

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कंवर करतार on January 11, 2018 at 9:47pm
बृजेश कुमार 'ब्रज जी आपका धन्यवाद I
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 10, 2018 at 10:12pm

बड़ी सुन्दर कविता हुई बधाई..

Comment by कंवर करतार on January 10, 2018 at 9:51pm

जनाब समर कबीर भाई ज़र्रानवाजी के लिए शुक्रिया I 

Comment by Samar kabeer on January 9, 2018 at 11:17pm

जनाब कंवर करतार जी आदाब,इस रचना पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by कंवर करतार on January 9, 2018 at 10:11pm

भाई मनोज एहसास जी आपका हृदय से आभार I

Comment by कंवर करतार on January 9, 2018 at 10:09pm

मोहमद आरिफ भाई ,आपका आभार I

Comment by कंवर करतार on January 9, 2018 at 10:08pm

भाई मोहित मिश्रा जी हौसला आफसाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया I 

Comment by कंवर करतार on January 9, 2018 at 10:06pm

सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप जी रचना अछि लगी बहुत बहुत धन्यवादI 

Comment by नाथ सोनांचली on January 9, 2018 at 11:30am

आद0 कंवर करतार जी सादर अभिवादन। बढ़िया लिखा आपने, बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर।

Comment by Mohammed Arif on January 9, 2018 at 7:43am

आदरणीय कँवर करतार जी आदाब,

                                 बहुत ही बेहतरीन शरद ऋतु की आमद का वर्णन करता गीत । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
10 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service