For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- आज फिर उसने कुछ कहा मुझसे

२१२२ १२१२ २२

आज फिर उसने कुछ कहा मुझसे।
आज फिर उसने कुछ सुना मुझसे।।

बाद मुद्दत के आज बिफ़रा था।
आज दिल खोल कर लड़ा मुझसे।।

जिसकी क़ुर्बत में शाम कटनी थी।
हो गया था वही ख़फ़ा मुझसे।।

दूर दिल से हुए सभी शिकवे।
टूट कर ऐसे वो मिला मुझसे।।

दरमियाँ है फ़क़त मुहब्बत ही।
अब कोई भी नहीं गिला मुझसे।।

चांद तारे या वो फ़लक सारा।
बोल क्या चाहिए ? बता मुझसे।।

क़ुर्बत= सामीप्य
फ़लक= आसमान

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 707

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ पवन मिश्र on December 6, 2017 at 11:10pm

आदरणीय अजय तिवारी जी, हृदय तल से आभार

Comment by डॉ पवन मिश्र on December 6, 2017 at 11:09pm

आदरणीय अफ़रोज़ सहर जी बहुत बहुत आभार

Comment by Ajay Tiwari on December 5, 2017 at 2:35pm

आदरणीय पवन जी,

खूबसूरत ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाईयाँ.

सादर

Comment by Afroz 'sahr' on December 5, 2017 at 8:49am
आदरणीय डा. पवन मिश्र जी इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल पर बहुत बधाई आपको जनाब समर साहिब की इस्लाह पर ध्यान दीजिएगा,,बाकी शुभ शुभ,
Comment by डॉ पवन मिश्र on December 5, 2017 at 6:54am

आदरणीय समर साहब, जिस मिसरे से मैं खुद पूरी तरह से मुतमईन नहीं था उसे उध्दृत करने के लिये सादर धन्यवाद। असल में इस पूरी ग़ज़ल में एक दृश्य कहने का प्रयास किया और उनके रूठने की बात भूतकाल में कहने की मजबूरी आड़े आ रही थी क्योंकि आज तो हम साथ बैठे हैं। इसीलिये 'था' के साथ मिसरा कहना पड़ा।

गिला वाले मिसरे को आपके सुझाव के अनुसार मूल में परिवर्तित कर लिया है। कोटिशः धन्यवाद। 

Comment by डॉ पवन मिश्र on December 5, 2017 at 6:49am

आदरणीय बन्धु सतविंद्र राणा जी, आभारम

Comment by डॉ पवन मिश्र on December 5, 2017 at 6:48am

आदरणीय मनोज कुमार जी, आपकी टिप्पणी के लिये सादर आभार

Comment by डॉ पवन मिश्र on December 5, 2017 at 6:48am

आदरणीय कालीपद जी, हृदय तल से आभार

Comment by Samar kabeer on December 4, 2017 at 5:16pm

जनाब डॉ.पवन मिश्र जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

'हो गया था वही ख़फ़ा मुझसे'

अगर इस मिसरे को यूँ कहें तो?

'हो गया आज  वो ख़फ़ा मुझसे' 

'अब कोई भी नहीं गिला मुझसे'

'अब उसे कुछ नहीं गिला मुझसे'

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 4, 2017 at 3:40pm
आदरणीय डॉ पवन जी उम्दा अशआर निकले हैं,बेहद बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
13 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service