For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- दूर कर बद-गुमानी मेरी // दिनेश कुमार

212---212---212

दूर कर बदगुमानी मेरी
ख़त्म हो सरगरानी मेरी

मेरे जीवन से तुम क्या गए
खो गई शादमानी मेरी

अब न आएगी ये लौटकर
जा रही है जवानी मेरी

बीती बातों पे ये बारहा
व्यर्थ की नोहा ख़्वानी मेरी

ग़म के दरिया में रक्खा है क्या
भूल जाओ कहानी मेरी

गुल खिलाएगी कोई नया
एक दिन हक़-बयानी मेरी

ऐ मेरे जिस्म ! ऊबा हूँ मैं
अब न कर मेज़बानी मेरी

मौलिक व अप्रकाशित


सरगरानी-नाराज़गी
शादमानी-ख़ुशी
नोहा ख़्वानी-रोना पीटना,मातम करना

Views: 705

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 31, 2017 at 11:44am

आ दिनेश कुमार जी बहुत खुबसूरत ग़ज़ल हुई है | मुबारकबाद स्वीकार करें |

Comment by दिनेश कुमार on October 31, 2017 at 6:29am
बहुत बहुत शुक्रिया आ. अजय तिवारी साहब।
Comment by दिनेश कुमार on October 31, 2017 at 6:28am
बहुत बहुत शुक्रिया आ. बृजेश साहब।
Comment by दिनेश कुमार on October 31, 2017 at 6:27am
आपकी मुहब्बतों को दिल से सलाम आ. समर सर। नवाज़िश
Comment by दिनेश कुमार on October 31, 2017 at 6:26am
बहुत बहुत शुक्रिया आ. आरिफ़ साहब।
Comment by दिनेश कुमार on October 31, 2017 at 6:25am
बहुत शुक्रिया आ. अफ़रोज़ सहर साहब।
Comment by Ajay Tiwari on October 31, 2017 at 1:17am

आदरणीय दिनेश जी,

छोटी बहर में बेहतरीन शेर निकाले हैं. हार्दिक शुभकामनाएं.

सादर 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 30, 2017 at 8:42pm
बड़ी खूबसूरत ग़ज़ल हुई..सादर बधाई
Comment by Samar kabeer on October 29, 2017 at 9:11pm
जनाब दिनेश जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by Mohammed Arif on October 29, 2017 at 5:48pm
आदरणीय दिनेश कुमार जी आदाब, बहुत ही प्यारी ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद देता हूँ क़ुबूल करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
17 minutes ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
43 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय निलेश भाई, ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपके फोन का इंतज़ार है।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर 'बागपतवी' साहिब बहुत शुक्रिया। उस शे'र में 'उतरना'…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर,ग़ज़ल पर विस्तृत टिप्पणी एवं सुझावों के लिए हार्दिक आभार। आपकी प्रतिक्रिया हमेशा…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल को समय देने एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार"
4 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा वो चेहरा पुरवाई जैसा. . तेरा होना क्यूँ लगता है गर्मी में अमराई जैसा. . तेरे…See More
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service