For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इस ज़माने से कई राज़ छुपा रक्खे हैं (ग़ज़ल 'राज')

बहरे रमल मुसम्मिन मख़बून महजूफ़ मक़तूअ--    

2122   1122  1122  22 

एक चेह्रे पे कई चेह्रे लगा रक्खे हैं 
इस ज़माने से कई राज़ छुपा रक्खे हैं 

अश्क आँखों में लिये और हँसी चेह्रे पर 
दर्द हमने कई सीने में दबा रक्खे हैं 

टूट जाएँ न कहीँ अश्क जमीं पर गिरकर 
अपनी पलकों पे करीने से सजा रक्खे हैं 

इस ज़माने को कभी ख्वाब मेरे रास आएँ 
सोचकर अपनी इन आँखों में बसा रक्खे हैं 

दे न पाएगा ज़माना कभी जिनके उत्तर 
दिल ही दिल में वो सवालात दबा रक्खे हैं 

पार होगा ये सफीना मेरा कैसे मौला 
जिंदगी ने कई तूफान उठा रक्खे हैं 

जिंदगी लौट के फिर आ कभी अपने घर पर 
हमने चौखट पे कई दीप जला रक्खे हैं 
---- मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 817

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 2, 2017 at 6:09pm
आ0 राजेश कुमारी जी बहुत सुंदर ग़ज़ल। हृदय से बधाई।
Comment by Samar kabeer on October 2, 2017 at 2:44pm
बहना राजेश कुमारी जी आदाब बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by नाथ सोनांचली on October 2, 2017 at 4:34am
आद0 बहन राजेश कुमारी जी सादर अभिवादन, दर्द और आशाओं के मिश्रण से सजे अशआर के लिए बधाई।
Comment by नाथ सोनांचली on October 2, 2017 at 4:34am
आद0 बहन राजेश कुमारी जी सादर अभिवादन, दर्द और आशाओं के मिश्रण से सजे अशआर के लिए बधाई।
Comment by Mohammed Arif on October 1, 2017 at 10:27pm
आदरणीया राजेश कुमारी जी आदाब, ग़ज़ल में दर्द भी है तो आशा का संचार करती रश्मियाँ भी । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद कुबूल करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
19 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service