For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिसे ख़यालों में रखता हूँ - सलीम रज़ा रीवा


1212 1122 1212 22

............................................

जिसे ख़यालों में रखता हूँ शायरी की तरह.
मुझे वो जान से प्यारा है जिंदगी की तरह.
.
क़सम जो खाता था उल्फ़त में जीने मरने की.
वो सामने  से गुज़रता है अजनबी की तरह.
.
यूँ ही न बज़्म  से  तारीकियाँ  हुईं रुख़सत.
कोई न कोई तो आया है रोशनी की तरह.
.
खड़े हैं छत पे  हटा कर निक़ाब वो रुख़ से.
अंधेरी शब भी यूँ रोशन है चांदनी की तरह.
.
अगर  बिखर  गए  अपना  वुजूद  खो  देंगे.
जुड़े रहें यूँ ही फूलों की इक लड़ी की तरह.
.
तेरे  ही  प्यार की  ख़ुशबू  है मेरी साँसों में.
मेरी हयात में शामिल है तू ख़ुशी की तरह.
.
ये  मांगता  है "रज़ा" हर  घड़ी दुआ रब से.
कभी  तो जी लूँ ज़रा देर आदमी कि तरह.

.......................................

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 863

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Afroz 'sahr' on September 18, 2017 at 2:16pm
आदरणीय सलीम रज़ा साहब खू़बसूरत ग़ज़ल है ! बहुत बधाई आपको !
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 18, 2017 at 1:11pm

जनाब सलीम साहिब , उम्दा ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ     

Comment by SALIM RAZA REWA on September 18, 2017 at 12:32pm
भाई नीलेश जी,
ग़ज़ल को पसंद करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया,
Comment by SALIM RAZA REWA on September 18, 2017 at 12:31pm
आ. सुरेन्द्र नाथ जी,
ग़ज़ल को पसंद करने के लिए आपका धन्यवाद,
Comment by SALIM RAZA REWA on September 18, 2017 at 12:29pm
आ. मुकेश जी,
आपकी मुहब्बत के लिए शुक्रिया,
Comment by SALIM RAZA REWA on September 18, 2017 at 12:13pm
जनाब शिज्जु "शकूर" साहब,
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया इस नाचीज़ पर मुहब्बत बनाए रखिए,
Comment by SALIM RAZA REWA on September 18, 2017 at 12:09pm
आ. गिरिराज भंडारी जी,
आपकी मुहब्बत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया,
Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 18, 2017 at 11:45am

बहुत ख़ूब,
उम्दा ग़ज़ल पेश की आपने ..
बधाई 

Comment by नाथ सोनांचली on September 18, 2017 at 11:29am
आद0 सलीम भाई खूबसूरत ग़ज़ल पर दाद के साथ मुबारकबाद कबूल पेश करता हूँ।सादर
Comment by MUKESH SRIVASTAVA on September 18, 2017 at 11:24am

BEHATREEN RACHNAA - DAD QUBOOL KAREN MITRAWAR

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service