For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - चाँद छिपता रहा फासले के लिए

212 212 212 212

इक नज़र क्या उठी देखने के लिए ।
चाँद छिपता गया फासले के लिए ।।

कोई सरसर उड़ा ले गई झोपड़ी ।
सोचिये मत मुझे लूटने के लिए ।।

मौत मुमकिन मेरी उसको आना ही है ।
दिन बचे ही कहाँ काटने के लिए ।।

जहर जो था मिला आपसे प्यार में ।
लोग कहते गए घूँटने के लिए ।।

रात आई गई फिर शहर हो गई ।
याद कहती रही जागने के लिए ।।

जब रकीबो से चर्चा हुई आपकी ।
फिर पता मिल गया ढूढने के लिए ।।

सज के आए हैं महफ़िल में मेरे सनम ।
इक नज़र भर मेरी फेरने के लिए ।।

कहकशां से भी आवाज़ आई बहुत ।
चाँद क्यों छल रहा जीतने के लिए ।।

यह बताकर जरा तोड़िये दिल मेरा ।
जिस्म था क्या मेरा खेलने के लिए ।।

मौलिक अप्रकाशित

Views: 701

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ajay sharma on August 28, 2017 at 11:48pm

बहुत खूब...

Comment by Samar kabeer on August 23, 2017 at 6:30pm
निगलने के लिये शब्द है 'गुटकने'देखियेगा ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on August 23, 2017 at 5:25pm
आ0 कबीर सर सादर नमन । घूटने शब्द का अर्थ निगलने से है । शेष सुधार भी कर रहा हूँ ।
Comment by Samar kabeer on August 23, 2017 at 3:00pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
मतले का सानी मिसरा भर्ती का है,रदीफ़ से इंसाफ़ नहीं हो रहा है,'फासले'क़ाफ़िया काम नहीं कर रहा,चाँद तो फासले पर ही होता है भाई ।
चौथे शैर में 'घूँटने'का अर्थ क्या है ?
पांचवें शैर के ऊला में 'शहर' को "सहर" कर लें ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 23, 2017 at 2:34pm
बहुत खूब...हार्दिक बधाई।
Comment by Naveen Mani Tripathi on August 23, 2017 at 10:43am
आरिफ़ साहब आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on August 23, 2017 at 10:42am
मोहित मिश्र जी आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on August 23, 2017 at 10:42am
अच्छा ध्यान दिलाया आ0 रवि शुक्ल जी और भी शेर में तकबुल ए रदीफ़ है ।
Comment by Ravi Shukla on August 23, 2017 at 10:19am

आदरणीय नवीन मणि जी अच्‍छी गजल कही आपने शेर दर शेर मुबारक बाद पेश है अखिरी शेर के तकाबुले रदीफ को टाला जा सकता है । सादर

Comment by Mohammed Arif on August 23, 2017 at 7:56am
आदरणीय नवीन मणि जी आदाब, असरदार ग़ज़ल । बढ़िया शे'र । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
10 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service