For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हवलदार -" नये थानेदार साहब आज दौरे पर निकले थे । तुम्हारी दुकान पर भी निगाह गई थी । तुमने सामान बाहर सड़क तक जमा रखा है । इससे यातायात में लोगों को दिक्कत आती है ।" हवलदार का इतना कहना ही था कि
घबराकर दुकान संचालक अनिल बोला -"जी...जी...जी... आज के बाद सामान बाहर नज़र नहीं आएगा ।"
"नहीं , नहीं थानेदार साहब का इशारा किसी दूसरी चीज़ की ओर है ।" हवलदार कहते हुए चला गया मगर अनिल को इशारा बहुत देर बाद समझ में आया ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 775

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on August 22, 2017 at 10:23pm
बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी । लेखन साकार हुआ ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 22, 2017 at 6:23pm
मुहतरम जनाब आरिफ़ साहिब आदाब ,अच्छी लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
Comment by Mohammed Arif on August 22, 2017 at 11:00am
लघुकथा के मर्म को समझने और उस पर अपनी सटीक प्रतिक्रिया देने का बहुत-बहुत आभार ।
Comment by pratibha pande on August 22, 2017 at 8:43am

सरकारें बदलती रहती हैं पर आम आदमी के सरोकार वाली संस्थाएं पुलिस शिक्षा स्वास्थ्य ,सब वहीँ की वहीँ  हैं ..सटीक कथा कही है आपने ...बधाई प्रेषित है आपको आदरणीय  

Comment by Mohammed Arif on August 22, 2017 at 8:00am
आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब,आपकी टिप्पणी पाकर अभिभूत हो गया । आपने सही कहा कि थोड़े शब्दों में बड़ी बात कह देना ही लघुकथा का कमाल होता है । बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on August 21, 2017 at 10:29pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा लिखी आपने,कम शब्दों में बड़ी बात कहना ही लघुकथा का सही कमाल होता है,और आप इसमें पूरी तरह कामयाब हैं,दिल से बधाई स्वीकार करें इस बढ़िया प्रस्तुति पर ।
Comment by Mohammed Arif on August 21, 2017 at 10:07am
बहुत-बहुत आभार आदरणीय विजय निकोर जी ।
Comment by vijay nikore on August 21, 2017 at 9:57am

कम शब्दों में बहुत कुछ कहती इस उत्तम लघु कथा के लिए बधाई, भाई मोहम्मद आरिफ़ जी।

Comment by Mohammed Arif on August 20, 2017 at 11:01pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 20, 2017 at 9:02pm
तीखा प्रहार किया बंधु भ्रष्टाचार पर । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service