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बरखा ( सार छंद- १६,१२)


छन्न पकैया छन्न पकैया , आयी बरखा रानी
बोली बच्चों अंदर बैठो  , मेरी बूढ़ी नानी |

छन्न पकैया छन्न पकैया , भूख लगी है नानी
गरमा गरम पकौड़े खाएं , बोली गुड़ियाँ रानी |

छन्न पकैया छन्न पकैया , सबर रखो तुम मुनिया
मंडी से लाना होगा अब , प्याज , मिर्च औ धनियाँ|

छन्न पकैया छन्न पकैया , मिलकर खाओ भैया
आओ फिर हम नाचे गायें, करके ता ता थैया |

छन्न पकैया छन्न पकैया , जब जब भरता पानी
छप छप करते हैं पानी में , करते हम मनमानी |

मौलिक और अप्रकाशित

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Comment by गिरिराज भंडारी on August 23, 2017 at 8:59pm

आदरणीया कल्पना जी , सार छंद बढिया रचे हैं आपने , हार्दिक बधाइयाँ !

Comment by pratibha pande on August 22, 2017 at 9:04am

बारिश की मस्ती को खूब पिरोया है आपने छंदों में .   हार्दिक बधाई   आदरणीया कल्पना जी 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 21, 2017 at 10:30pm
Ji bhai ji
Comment by Samar kabeer on August 21, 2017 at 10:21pm
बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,बहुत सुंदर सारछन्द रचे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
जनाब अशोक रक्ताले जी ने बड़ी गुर की बात बताई है,कुछ टंकण त्रुटियां भी देख लीजियेग ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 20, 2017 at 9:19pm

जी सर 'बोली बच्चों अंदर बैठो ' सही लग रहा है | सादर धन्यवाद आदरणीय |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 20, 2017 at 9:16pm

जी  सर गेयता में बोली बच्चों अंदर बैठो सही लग रहा है | सादर धन्यवाद आदरणीय |

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 20, 2017 at 9:05pm

आदरणीया कल्पना भट्ट जी सादर, बहुत सुंदर सार छंद रचे हैं आपने.  बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. फिरभी लिखने के साथ छंद को गाकर भी देखें तो प्रवाह से शब्द संयोजन में मदद होगी. जैसे  'अन्दर बैठो बच्चों बोली' इस पंक्ति को 'बोली बच्चों अन्दर बैठो'  कर देखें गेयता बढती है या नहीं.  सादर. 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 20, 2017 at 8:33pm

सादर धन्यवाद सभी पाठकों को |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 20, 2017 at 8:20pm

धन्यवाद आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 20, 2017 at 8:20pm

धन्यवाद् आदरणीया सुनंदा जी |

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