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मेघों का अम्बर में लगा अम्बार

मेघों का अम्बर में लगा अम्बार
थकते नहीं नैना दृश्य निहार
हर मन कहे ये बारम्बार
आहा!आषाढ़..कोटि कोटि आभार

धरा ने ओढी हरित चादर निराली
लहलहाए खेत बरसी खुशहाली
तन मन भिगोये रिमझिम फुहार
आहा! आषाढ़.. कोटि कोटि आभार


भीगे गाँव ओ' नगर सारे
थिरकीं नदियाँ छोड़ कूल किनारे
अठखेलियाँ करे पनीली बयार
आहा! आषाढ़. कोटि कोटि आभार
दुष्यंत...

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Comment by दुष्यंत सेवक on September 13, 2011 at 6:34pm

Abhinav ji ye jaankar hardik prasannata hui ki apne meri rachnaon ko padhne me dilchaspi li...apke shabd ek bada sambal hain.....mujhe bhi apki rachnao ki pratiksha hi rahti hai....bahut dhanyavaad isi tarah sneh banayen rakhen...:)

Comment by Abhinav Arun on September 6, 2011 at 3:18pm

abhi baahar barsaat ki bhoomika ban rahi hai ... aapke pej par gaya is drishti ke saath ki aapki rachnaon ko padh sakoon ... is rachna ko padha ... barsaat kaa sundar aur bhaav purn chitran kiya hai aapne bahut khoob aur sundar rachna badhai !! ishar kuchh naya likhen to zaroor yahaan den aapki rachna ki pratiksha rahegi |

Comment by दुष्यंत सेवक on July 7, 2010 at 10:22pm
bahut bahut dhanyavaad mapatpuri ji, yogi sir shukriya
Comment by satish mapatpuri on July 7, 2010 at 5:16pm
धरा ने ओढी हरित चादर निराली
लहलहाए खेत बरसी खुशहाली
तन मन भिगोये रिमझिम फुहार
आहा! आषाढ़.. कोटि कोटि आभार
दुष्यंत जी, बहुत ही सुन्दर रचना है. धन्यवाद.

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on July 6, 2010 at 12:36pm
दुष्यंत भाई, रचना वही सफल मणि जाती है जिसको पढ़कर पाठक के सामने सारा दृश्य चलचित्र की भांति घूम जाए आपकी कविता उस कसौटी पर मुकम्मिल तौर पर पूरी उतरती है ! बहुत अच्छा शब्द-विन्यास भी आपकी इस कविता में झलक रहा है, पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा ! मुबारकबाद है आपको !
Comment by दुष्यंत सेवक on July 6, 2010 at 12:26am
shukriya rana bhai.....bagi ji dhanyavad

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on July 5, 2010 at 11:38pm
बहुत सुन्दर!!!!! आषाढ़ का पूर दॢश्य आंखों के समक्ष उपस्थित हो गया है......मन खुश हो गया..दुष्यंत जी सुन्दर लिखने के लिये बधाई कुबूल करें...........

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 5, 2010 at 5:28pm
Bahut badhiya Rachna hai Dushyant bhai, aapki rachna padh kar to barish ka anubhaw ho raha hai par vastav mey Barsa Rani ham sab sey ruthi hui hai,
Comment by दुष्यंत सेवक on July 5, 2010 at 12:10pm
Monsoon ko samarpit.........My 2nd favorite season .....:)

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