For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुलसी को वनवास हो हो गया

घर टूटे मिट गए वसेरे,

महलों में आवास हो गया.

ऊँचे कद को देख लग रहा,

सबका बहुत विकास हो गया.

भूल गए पहचान गाँव की,

बसे शहर में जब से आकर.

नहीं अलाव प्रेम के जलते,

सूनी है चौपाल यहाँ पर.

 

अधरों पर मुस्कान किन्तु

खंडित उर का विश्वास हो गया.

 

पारा जा पहुँचा पचास पर,

घर बाहर है एक कहानी.

संग नदी के सूख रहा है,

मानव की आँखों का पानी.

 

तपते हुए अषाढ़ कट रहा,

सावन सूखा मास हो गया.  

 

कंकरीट के जंगल आये,

सबका हृदय कठोर कर गए.

घर के आँगन जाते जाते,

रिश्तों को कमजोर कर गए.

 

नागफनी का राजतिलक है,

तुलसी को वनवास हो गया.

"मौलिक एवं अप्रकाशित "

 

Views: 584

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 23, 2017 at 12:36pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी, आपकी हौसला अफजाई और अनुकरणीय सुझाव को सादर नमन , इसी तरह आशीष बनाये रखें सादर 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 23, 2017 at 12:35pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , आपकी मनभावन प्रतिक्रिया को सादर नमन 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 23, 2017 at 9:08am

अधरों पर मुस्कान किन्तु  खंडित उर का विश्वास हो गया. (१४,  १८)------------अधरों पर मुस्कान सुसज्जित   खंडित उर-विश्वास हो गया

बहुत ही सुन्दर रमणीय गीत आदरणीय .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 20, 2017 at 11:44am

क्या बात है , आदरणीय बसंत भाई , बेहतरीन गीत रचना की है आपने , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 20, 2017 at 10:25am

आदरणीय रवि शुक्ल जी आपकी हौसला अफजाई का दिल से शुक्रिया 

Comment by Ravi Shukla on July 20, 2017 at 9:45am

आदरणीय बसंत कुमार जी बहुत सुन्‍दर नवगीत लिखा आपने भाव और कथ्‍य की दृष्टि दोनो से ही अच्‍छा लगा  । बधाई स्‍वीकार करें

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 19, 2017 at 5:00pm

आदरणीय Samar kabeer  जी, आपकी हौसला अफजाई के लिए दिल से बहुत बहुत शुक्रिया, आपके आदेश का अवश्य पालन होगा. यह ठीक भी होगा कि विधा लिखी जाये   

Comment by Samar kabeer on July 19, 2017 at 2:25pm
जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,बहुत सुंदर भावों से सजी इस रचना के लिये दिल से बधाई स्वीकार करें ।
एक निवेदन ये है कि कृपया रचना के साथ उसकी विधा भी लिख दिया करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
5 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service