For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(1) सूखा हुआ किसान को दाना बना दिया ,
फिर ख़ुदकुशी का एक बहाना बना दिया ,
अब कहते अन्नदाता उसे शर्म आती है ,
भूख और मुफ़लिसी का तराना बना दिया ।
(2) अरमानों को कफ़न में सजाता किसान है,
अब ख़ुद ही अपनी लाश उठाता किसान है,
गोली पुलिस की खाए कि फ़ाकों से वो मरे,
मय्यत का रोज़ जश्न मनाता किसान है ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 673

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on July 5, 2017 at 8:10am
आपकी हौसला अफज़ाई और सराहना का बहुत-बहुत आभार आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी ।
Comment by नाथ सोनांचली on July 5, 2017 at 5:52am
आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन, बेहद उम्दा मुक्तक, किसानों की दुर्दशा को बेहतरीन शब्दो मे उतारा है आपने। अनन्त बधाइयाँ आपको
Comment by Mohammed Arif on July 4, 2017 at 7:40am
आदरणीय विजय निकोर जी आदाब,आपकी उत्साहजनक और हौसला अफ़ज़ाई वाली टिप्पणी से लेखन सार्थक हुआ। हार्दिक आभार ।
Comment by vijay nikore on July 4, 2017 at 2:43am

किसानों की वर्तमान स्थिति का वर्णन करती इस सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय भाई मोहम्मद आरिफ़ जी।

ऐसे ही और लिखते रहें। 

सादर,

विजय निकोर

Comment by Mohammed Arif on July 3, 2017 at 6:43pm
आदरणीय नरेंद्र सिंह जी आपका बहुत-बहुत आभार ।
Comment by Mohammed Arif on July 3, 2017 at 6:42pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय सुशील सरना जी । लेखन सार्थक हुआ ।.
Comment by Mohammed Arif on July 3, 2017 at 6:40pm
आदरणीय आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,आपकी उत्साह जनक टिप्पणी,इस्लाह और रचना के सही मूल्यांकन से लेखन को संबल मिला । बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Comment by narendrasinh chauhan on July 3, 2017 at 5:06pm

खूब सुन्दर रचना 

Comment by Sushil Sarna on July 3, 2017 at 4:02pm

वाह वर्तमान को जीवंत करे इन मुक्तकों के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय। 

Comment by Samar kabeer on July 3, 2017 at 12:35pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,मुल्क में आज जो किसानों की हालत है उसको आपके मुक्तक बख़ूबी बयान कर रहे हैं,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
पहले मुक्तक की तीसरी पंक्ति में 'है' शब्द लिखने से रह गया है,देखियेगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
7 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
9 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
9 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
9 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
9 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
10 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service