For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत-हे हरि हर लो हिय के दुख सब-रामबली गुप्ता

हे हरि हर लो हिय के दुख सब।

सकल चराचर जग के स्वामी! कृपा करो कर शीश रखो अब।
हे हरि हर लो......

चतुर्वेद-वेदांग-पुराणों से भी ऊपर ज्ञान तुम्हारा।
वन-वन गिरि-गिरि भटका नर पर तुमको जान न पाया हारा।
भेद मिटाकर सभी प्यार का जिसने दिल में दीप जलाया।
नही किसी मंदिर-मस्जिद में उसने तुमको खुद में पाया।

सत्य न यह स्वीकारे जग में ऐसा कौन मनुज या मज़हब?
हे हरि हर लो.......

सूर्य-चंद्र की ज्योति तुम्हीं गति ग्रह-उपग्रह ने तुमसे पाई।
जग के हर कण-तृण में तुमने अनुपम माया है दर्शाई।
अनिल-अनल-जल-थल-नभ में तुम, भू पर जीवन भी तुम लाये।
व्यक्त तुम्हारी महिमा शब्दों में क्या नर कोई कर पाये?

कर-पद-मुख बिन ही तुम जग में करते हर क्षण सारे करतब।
हे हरि हर लो.........

किया तुम्हें अनुभूत शून्य-भू-जलनिधि-प्रस्तर-गिरि हर नर में।
और सुना खगकुल कलरव में, बहती सरि के कलकल स्वर में।
शीतल सौरभयुक्त पवन का हल्का झोंका जब भी आया।
मानो सुखद स्पर्श तुम्हारा व्याकुल तन-मन ने हो पाया।

औ' ममता में देखा तुमको माँ ने माथा चूमा जब-जब।
हे हरि हर लो......

आज द्वेष-मद-लोभ-स्वार्थ के वशीभूत नर नाचे नंगा।
धोते-धोते पाप सभी के मलिन हुई यह पावन गंगा।
जाति-धर्म के भेद परशु बन काट रहे मानवता का तरु।
प्रेमपूर्ण शुचि हरा-भरा थल हाय! बना जैसे जलता मरु।

'बली' घने तम को हरने हरि! परम् ज्योति बन आओगे कब?
हे हरि हर लो.....

रचनाकार-रामबली गुप्ता
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 732

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रामबली गुप्ता on June 15, 2017 at 8:21pm
प्रशंसा से अभिभूत हूँ आदरणीय सुशील भाई जी। हृदयतल से आभार आपको
Comment by Sushil Sarna on June 15, 2017 at 7:16pm

आज द्वेष-मद-लोभ-स्वार्थ के वशीभूत नर नाचे नंगा।
धोते-धोते पाप सभी के मलिन हुई यह पावन गंगा।
जाति-धर्म के भेद परशु बन काट रहे मानवता का तरु।
प्रेमपूर्ण शुचि हरा-भरा थल हाय! बना जैसे जलता मरु।

अद्भुत और अनुपम प्रस्तुति आदरणीय रामबली गुप्ता ही। मोहक शब्दप्रवाह .... इस अत्युत्तम प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by रामबली गुप्ता on June 15, 2017 at 4:57am
सादर आभार भाई ब्रजेश कुमार जी
Comment by रामबली गुप्ता on June 15, 2017 at 4:55am
गीत पसंद करने के लिए हृदय से आभार आदरणीया बहन राजेश कुमारी जी।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 14, 2017 at 11:14pm
बहुत ही सुन्दर उपमा युक्त गीत का सृजन हुआ है आदरणीय..सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 14, 2017 at 9:36am

वाह्ह्ह्ह वाह बहुत ही मनमोहक सुंदर गीत लिखा है आपने आद० रामबली भैया दिल से ढेरों बधाई लीजिये |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 14, 2017 at 9:35am

वाह्ह्ह्ह वाह बहुत ही मनमोहक सुंदर गीत लिखा है आपने आद० रामबली भैया दिल से ढेरों बधाई लीजिये |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 14, 2017 at 9:35am

वाह्ह्ह्ह वाह बहुत ही मनमोहक सुंदर गीत लिखा है आपने आद० रामबली भैया दिल से ढेरों बधाई लीजिये |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
30 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
53 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
1 hour ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आप हमेशा वहीँ ऊँगली रखते हैं जहाँ मैं आपसे अपेक्षा करता हूँ.ग़ज़ल तक आने, पढने और…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. लक्ष्मण धामी जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..दो तीन सुझाव हैं,.वह सियासत भी कभी निश्छल रही है.लाख…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..बधाई स्वीकार करें ..सही को मैं तो सही लेना और पढना…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service