For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -गली गली में कुछ अँधियारे, घूम रहे हैं - ( गिरिराज )

22   22  22   22   22  22 ( बहर ए मीर )

कटे हाथ लेकर बे चारे घूम रहे हैं

मांग रहे हैं, कहीं सहारे, घूम रहे हैं

कर्मों का लेखा उनका मत बाहर आये

इसी जुगत में डर के मारे, घूम रहे हैं

 

हाथों मे पत्थर हैं जिनके, उनके पीछे

छिपे हुये अब भी हत्यारे घूम रहे हैं

 

अँधियारा अब भी फैला है आंगन आंगन

क्यों ये सूरज, चंदा, तारे घूम रहे हैं

 

शब्द भटक जाते हैं उनके, अर्थ हीन हो

जिनके घर के अब चौबारे घूम रहे हैं

 

कटा पेड़ धरती से, तो वो सूखेगा ही

भ्रम में हैं, जो बन गुब्बारे घूम रहे हैं

 

कुछ की सांसें अटकी, कुछ की नाड़ी गायब

तन के मारे , मन से हारे घूम रहे हैं

 

साफ वसन में दाग ढूँढने की कोशिश में

दूर बीन ले, ग़म के मारे घूम रहे हैं

 

बचना यारों, पहन उजालों की पोशाकें

गली गली में कुछ अँधियारे, घूम रहे हैं

************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 668

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 23, 2017 at 10:00am

आ. नीलेश भाई , आपकी सलाह उचित है .. और स्वीकार है .. मै सुधार कर लूँगा । आभार आपका । यद्यपि  समान्य नकार भाव् मे भी मत का उपयोग होता है .... पर आपकी सलाह अच्छी है  सो स्वीकार है ।
उनके कर्मों का लेखा बस छुपा रहे

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 23, 2017 at 9:51am

आ. गिरिराज जी, 
आपने मत को निश्चित ही न आने पाये जैसे इस्तेमाल किया है ...लेकिन मत अक्सर आदेशात्मक होता है...
ऐसा मत करना 
मत लाना   आदि ....
आपका मिसरा आदेशात्मक नहीं प्रयासत्म्क भाव वाला है अत: मैंने निवेदन किया था ...
.
वैसे सानी मिसरे को यूँ गिरह करें तो कैसा रहे ..
उनके कर्मों का लेखा बस छुपा रहे 
इसी जुगत में ,,,,,,,,,,,,,,,,,
.
सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 23, 2017 at 9:20am

आदरणीय समर भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका  हार्दिक आभार ।

आदरणीय समर भाई , .. ना के स्थान पर मत लिया हूँ ... जिसे मै गलत नही समझता ... लेकिन कोई ज़िद नही है . कोई सही बात सूझी तो बदल भी सकता हूँ ...आपकी सलाह भी अच्छी है ... देखता हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 23, 2017 at 9:16am

आदरणीय नीलेश भाई , हौसला अफज़ाई का शुक्रिया । मत ... अगर भाव बिगाड़ रहा हो तो कुछ सोचूँगा ... अगर मत शब्द को गलत समझते हैं ... तो मुझे गलत नही लगता ...।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 23, 2017 at 9:14am

आदरणीय मोह. आरिफ भाई . उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ।

Comment by Mahendra Kumar on April 13, 2017 at 8:17pm
कटा पेड़ धरती से, तो वो सूखेगा ही
भ्रम में हैं, जो बन गुब्बारे घूम रहे हैं ...वाह! बहुत बढ़िया ग़ज़ल है आदरणीय गिरिराज सर। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।
Comment by Samar kabeer on April 13, 2017 at 6:16pm
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई आपकी पसंदीदा बह्र-ए-मीर में,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
'कर्मो का लेखा उनका मत बाहर आये'
इस मिसरे में 'मत बाहर आये'मुझे भी खटक रहा है,मिसरा यूँ कर लें न :-
'कर्मो का लेखा न कहीं बाहर आ जाये'
Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 13, 2017 at 1:42pm

वाह ..बहुत ख़ूब ...
मत बाहर आये ...थोडा खटक रहा है ..
बाक़ी खूब है 
सादर 

Comment by Mohammed Arif on April 13, 2017 at 11:57am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, बेहतरीन ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
1 minute ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
3 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
4 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
4 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
26 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी ठीक है  मशविरा सब ही दे रहे हैं पर/ मगर ध्यान रख तेरे काम का क्या है ।"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई।"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी सादर नमस्कार। बहुत बहुत आभार आपका।"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर नमस्कार। बहुत बहुत शुक्रियः आपका"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई आपको।"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सम्माननीय ऋचा जी । बहुत बहुत आभार"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service