For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

‘नया मुर्दा’ (लघु कथा 'राज')

 नदी का वो  घाट पर जहाँ दूर-दूर तक मुर्दों के जलने से मांस की सड़ांध फैली रहती थी साँस लेना भी दूभर होता था वहीँ थोड़ी ही दूरी पर एक झोंपड़ी ऐसी भी थी जो चिता की अग्नि से रोशन होती थी|

भैरो सिंह का पूरा परिवार उसमे रहता था दो छोटे छोटे बच्चे झोंपड़ी के बाहर रेत के घरोंदे बनाते हुए अक्सर दिखाई दे जाते थे |

दो दिन से घाट पर कोई चिता नहीं जली थी बाहर बच्चे खेलते-खेलते उचक कर राह देखते- देखते थक गए थे कि अचानक उनको राम नाम सत्य है की आवाजें सुनाई दी सुनते ही बच्चे ख़ुशी से उछल पड़े |

नन्हीं पूर्वी चहकती हुई भीतर भागी और बोली “पिताजी पिताजी  , नया मुर्दा आया है ..वाह अब मजा आयेगा.... सुनते ही परिवार में सभी की आँखें चमक उठी |

पूर्वी का पिता  तुरंत बाहर गया और मुर्दे को विधि विधान से जलाने की प्रक्रिया शुरू हो गयी कुछ कपड़ों का गट्ठर थोड़ी दूर खड़ी पूर्वी को बुलाकर सौंप दिया गया जिसमे से एक-एक कपड़ा निकाल कर नन्ही पूर्वी देख रही थी और कुछ उदास सी हो गई थी फिर पूजा पाठ के बाद थोड़े से चावल आटा शक्कर पूर्वी व् उसके छोटे भाई को पकड़ा दिए गए |

मगर पूर्वी फिर भी उदास थी अपने पिताजी के पास जाकर बोली “इसके कपड़ों में तो कोई शाल भी नहीं मिली दादी को बहुत सर्दी लगती है| और दाल भी नहीं है आज क्या पकाएगी अम्मा”? पिताजी,अब दूसरा मुर्दा कब आयेगा"??

“तू बावली हो गई क्या? जा घर में जा” पिताजी के डांटते ही बच्चे घर की और भागे|

मुर्दे के परिवार वालों को अजीब सी नजरों से बच्चों को देखते हुए देखकर भैरो सिंह सकपकाता हुआ बोला - “बावले हैं जी ये बच्चे कुछ भी बोल देते हैं ... पर क्या करें साहब, ये भी सच है कि यहाँ चिता जलती है तभी वहाँ चूल्हा जलता है” |

                                           ------------

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 1189

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 6, 2017 at 9:37pm
आपकी पैनी नज़र ही इस तरह के बेहतरीन कथानक व कथ्य तलाश कर आपकी बेहतरीन लेखनी से इतना उत्कृष्ट सृजन करा लेती है। यथार्थ के धरातल पर कड़वी सच्चाई की बेहतरीन लघुकथाग्राफी के लिए बहुत बहुत मुबारकबाद मोहतरमा राजेश कुमारी जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 6, 2017 at 8:53pm

आद० डॉ. गोपाल भाई जी ,आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत आभार आपका . 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 6, 2017 at 8:42pm

आ० दीदी , कमाल की कथा . एकदम नया स्क्रिप्ट . आपको बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 6, 2017 at 6:19pm

आद० समर भाई जी ,लघु कथा में गहराई तक पँहुच कर दी गई आपकी प्रतिक्रिया ने मेरा लेखन सार्थक कर दिया दिल से आभारी हूँ |प्रथम पंक्ति में पता नहीं कैसे एक शब्द इधर का उधर हो गया मूल प्रति में ठीक क्र लूँगी ध्यान दिलाने के लिए आभार भाई जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 6, 2017 at 6:17pm

आद० तेजवीर सिंह जी ,आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभारी हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 6, 2017 at 6:16pm

आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी,लघु कथा के मर्म ने आपको प्रभावित किया आपको कथानक पसंद आया मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत-बहुत आभार | 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 6, 2017 at 6:14pm

आद० अमन कुमार जी ,आपको लघु कथा पसंद आई बहुत- बहुत शुक्रिया आपका |

Comment by Samar kabeer on April 6, 2017 at 6:00pm
बहना राजेश कुमारी जी आदाब,बहुत ही मार्मिक,कसी हुई सधी हुई लघुकथा लिखी आपने,जितनी तारीफ़ की जाये कम होगी,बहुत ख़ूब वाह, इस बहतरीन प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
लघुकथा को शुरूआती पंक्ति 'नदी का वो घाट पर जहाँ'यूँ होना चाहिए न "नदी का वो घाट जहाँ पर"
Comment by TEJ VEER SINGH on April 6, 2017 at 4:10pm

बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय राजेश कुमारी जी।हार्दिक बधाई।एक दम सटीक और यथार्थ चित्रण।

Comment by Mohammed Arif on April 6, 2017 at 2:24pm
आदरणीया राजेश कुमारी जी आदाब, क्या यथार्थ चित्रण, अनुभवी-सा चित्रण । एक महिला होने के नाते आपने श्मशान का इतनी बारीक़ी से चित्रण करना भी सोचने पर विवश करता है । सच है कुछ लोगों की रोज़ी-रोटी श्मशान से ही चलती है । आख़िरी की पंच लाइन बहुत ही बढ़ीया । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
5 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
8 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service