For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल(कुर्सियाँ किसकी हुईं हैं बोलिये भी)

#गजल#-103

.

कुर्सियाँ किसकी हुई हैं बोलिये भी
गाँठ में क्या-क्या छिपा है खोलिये भी।1

आपको भी क्या न करना पड़ गया है
हो न सकते साथ जिनके,हो लिये भी।2

जानते सब कुर्सियों की कीमतें हैं
हम भुला खुद को जरा-सा तोलिये भी।3

घोलते आये फ़िजां में क्या नहीं कुछ
अब जहर फिरसे यहाँ मत घोलिये भी।4

कुर्सियों के ताव में कुछ कर गये थे
चोट खायी खूब हमने गो लिये। भी।5
@मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 636

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 28, 2017 at 10:29am
वाह बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई आदरणीय..
Comment by Manan Kumar singh on March 27, 2017 at 7:48pm
आदरणीय सुशील सरना जी,स्नेह जाहिर करने के लिए शुक्रिया।
Comment by Manan Kumar singh on March 27, 2017 at 7:48pm
आदरणीय सुशील सरना जी,स्नेह जाहिर करने के लिए शुक्रिया।
Comment by Manan Kumar singh on March 27, 2017 at 7:48pm
आदरणीय सुशील सरना जी,स्नेह जाहिर करने के लिए शुक्रिया।
Comment by Manan Kumar singh on March 27, 2017 at 7:40pm
आदरणीय समर साहिब,नज्र बख्शने का शुक्रिया!'गो'लेना,मतलब मन मारकर/ध्यान न देकर सह लेना/बर्दास्त कर लेना,सादर।
Comment by Manan Kumar singh on March 27, 2017 at 7:36pm
आपका आभार आ दर णीय आ रि फ भाई।
Comment by Sushil Sarna on March 27, 2017 at 3:49pm

कुर्सियाँ किसकी हुई हैं बोलिये भी
गाँठ में क्या-क्या छिपा है खोलिये भी।1

वाह बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल और भाव। ... हार्दिक बधाई आदरणीय।

Comment by Samar kabeer on March 27, 2017 at 3:20pm
जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,ग़ज़ल अच्छी हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
रदीफ़ में 'भी'शब्द के बग़ैर भी काम बन जाता ?
'चोट खाई ख़ूब हमने गो लिये भी'
इस मिसरे में 'गो लिये'का अर्थ बताने का कष्ट करें ।
नियमानुसार ग़ज़ल के साथ अरकान नहीं लिखे आपने ?
Comment by Mohammed Arif on March 27, 2017 at 2:10pm
आदरणीय मनन कुमार जी आदाब, शानदार ग़ज़ल । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service