For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ज़ुबाँ पे सख्त पहरा हो रहा है(गजल)/सतविन्द्र कुमार राणा

1222 1222 122
बिखरकर फिर इकट्ठा हो रहा है
जवाँ फिर से इरादा हो रहा है।

जिसे अपना समझते थे,न जाने
वही क्यों अब पराया हो रहा है?

समन्दर सी छलकती हैं ये आँखें
कोई तो ज़ख्म गहरा हो रहा है।

किसे जाकर सुनाएँ हाल अपना
हमारा शाह बहरा हो रहा है।

भरोसा टूटना लाज़िम हुआ अब
जहाँ का दौर झूठा हो रहा है।

ज़ुबाँ कैसे किसी की अब उठेगी
ज़ुबाँ पे सख़्त पहरा हो रहा है।

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 773

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 21, 2017 at 9:29pm
आदरणीय गिरिराज सर,गजल प्रयास को पसन्द कर प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक आभार संग सादर नमन!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 21, 2017 at 3:21pm

आदरनीय सतविन्द्र भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है , सभी अशआर अच्छे हुये हैं ... हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 20, 2017 at 8:32pm
आदरणीय तस्दीक अहमद खां जी,प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 20, 2017 at 8:31pm
आदरणीय बृजेश भाई जी,हौंसलाफ़ज़ाई के लिए तहे दिल शुक्रिया।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 19, 2017 at 8:01pm

मुहतरम जनाब सत्विन्दर कुमार साहिब , अच्छी ग़ज़ल हुई है
मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ --

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 19, 2017 at 5:12pm
वाह वाह खूबसूरत बहुत खूबसूरत
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 17, 2017 at 6:48pm
आदरणीय तेजवीर जी,सादर नमन!प्रयास पर उपस्थित होकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक आभार!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 17, 2017 at 6:47pm
आदरणीय रवि शुक्ल सर,आपको प्रयास पसन्द आया यह सार्थक हुआ।सादर हार्दिक आभार संग नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 17, 2017 at 6:45pm
आदरणीय मुहम्मद आरिफ साहब,सादर नमन,प्रयास के अनुमोदन ,सराहना कर प्रोत्सहित करने के लिए बहुत-बहुत हार्दिक आभार
Comment by TEJ VEER SINGH on March 17, 2017 at 10:28am

हार्दिक बधाई आदरणीय सतविंदर जी।बेहतरीन गज़ल।
किसे जाकर सुनाएँ हाल अपना
हमारा शाह बहरा हो रहा है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service