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कभी न होगी यहाँ नाभिकीय वार की बात (ग़ज़ल)

बह्र 1212 1122 1212 1121/112

अगर सभी के दिलो में हो सिर्फ प्यार की बात
नही कठिन है मिटाना जहाँ से खार की बात

हिरोशिमा से सबक लें सभी जो मुल्क अगर
कभी न होगी यहाँ नाभिकीय वार की बात

जुबाँ कभी मेरी खाली न जाये इसलिए तो
कभी किसी से न की भूलकर उधार की बात

हुआ चलन जो मो'बाइल का हर जगह गोया
कि अब नही यहाँ होंगी किसी से तार की बात

दिखा न आँख हमे इस कदर समझ बुजदिल
हैं शेर हम नही करते कभी सियार की बात

दिखा रही है सियासत भी सब्जबाग हमे
किसे है फ़िक्र करेगा जो रोजगार की बात

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by Mahendra Kumar on March 7, 2017 at 10:09pm
आदरणीय सुरेन्द्र जी, इस बढ़िया ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 7, 2017 at 3:16pm

आदरनीय सुरेन्द्र नाथ भाई , बहुत अच्छी गज़ल कही है , दिल से बधाइयाँ गज़ल के लिये ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 6, 2017 at 11:58am

आद० समर भाई जी ,गोया के दुसरे अर्थ (बोलने वाला )जानकर संशय दूर हो गया वरना मैं यही सोच रही थी की गोया के बाद सानी में कि की जरूरत कहाँ थी अब सब स्पष्ट हो गया बहुत बहुत शुक्रिया भाई जी 

Comment by नाथ सोनांचली on March 6, 2017 at 9:52am
आदरणीय समर साहब आदाब, आपके इस कथन से मेरा भी शंशय दूर हो गया, आभार आपका।
Comment by Samar kabeer on March 5, 2017 at 7:18pm
'हुआ चलन जो मोबाइल का हर जगह गोया'

बहना राजेश कुमारी जी आदाब,आज सुब्ह प्रिय अनुज सुरेन्द्र नाथ जी ने मुझे फोन पर बताया कि इस मिसरे में आपको 'गोया'शब्द पर कुछ संशय है, इसके लिये मुझे यहाँ उपस्थित होना पड़ा ।
"गोया"शब्द के दो अर्थ होते हैं (1)बोलने वाला (2)फ़र्ज़ कीजिये,या मान लीजिये,या अंग्रेजी में 'suppose",इस लिहाज़ से ये मिसरा पूरी तरह बामानी है, आपने 'मोमिन'का ये शैर पढ़ा या सुना होगा:-
"तुम मेरे पास होते हो गोया
जब कोई दूसरा नहीं होता"
उम्मीद है आपका संशय दूर हुआ होगा ?
Comment by नाथ सोनांचली on March 5, 2017 at 5:56pm
आदरणीय बैजनाथ शर्मा जी सादर आभार, यूँही प्यार बनाये रखें। सादर
Comment by नाथ सोनांचली on March 5, 2017 at 5:56pm
आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी हौसला अफजाई के लाइट ह्रदय की गहराई से आभार।
Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on March 5, 2017 at 2:41pm

बहुत सुन्दर 

बहुत बहुत बधाई 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 5, 2017 at 7:58am
वाह वाह आदरणीय सुरेन्द्र जी बेहद सुन्दर और सार्थक रचना के लिए हार्दिक बधाइयाँ
Comment by नाथ सोनांचली on March 4, 2017 at 8:11pm
आद0 बहन राजेश कुमारी जी आपकी प्रशंसा से नयी ऊर्जा का संचार होता है, दिल से आपका आभार। इस ग़ज़ल पर आद0 उस्ताद समर साहब से इस्लाह लिया था, सादर

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