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ग़ज़ल :चुनाव के दिन हैं

1212 1122 1212 22

हमें न ख़्वाब दिखाओ चुनाव के दिन हैं,
अभी तो होश में आओ चुनाव के दिन है ।

बला से कोई बने शाह मुल्क में माना,
तुम अपना फ़र्ज़ निभाओ चुनाव के दिन हैं।

ख़ता मुआफ़ उसूलों को आज रहने दो,
अदू से हाथ मिलाओ चुनाव के दिन हैं।

ये इत्तिहाद मुबारक़ हो ओहदों के लिए,
हिसाब और लगाओ चुनाव के दिन हैं।

गुज़िश्ता पाँच बरस का हिसाब पूछेंगे
कहाँ थे आप बताओ चुनाव के दिन हैं।

सहीह आज ये मौका बदल दो सूरते हाल,
कदम कदम ही बढ़ाओ चुनाव के दिन हैं।

जो चल रहे हैं ज़माने में ले के नफ़रत को,
सभी अलम वो जलाओ चुनाव के दिन है।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 25, 2017 at 8:36pm

सादर आभार आदरणीय रवि भाई 

Comment by Ravi Shukla on February 24, 2017 at 5:30pm
आदरणीय सौरभ भाईजी बात तो आपकी सही है कि8 ये ख्वाब ही दिखाते है ।।हमारा मंतव्य उनको विरोध प्रकट करने का था । मल्लब जाओ हमें अब ख्वाब न दिखाओ हमें मालूम है तुम क्या हो । पर शायद बात बनी नहीं । इसीलिए आपकी टिप्पणी का स्वागत है । किकुछ बेहतर हुआ तो साझा करेंगे । हाँ किसी रचना पर आपकी उपस्थिति से ये तो समझ आता है कि हां कुछ तो है जिसने आपको भी कुछ कहने को प्रेरित किया ( हम इसको सकारात्मक रूप में लेते है :-)) सादर
Comment by Ravi Shukla on February 24, 2017 at 5:18pm
आदरणीया राजेश दीदी और आदरणीय गिरिराज भाई जी पर आपके प्रोत्साहन से हौसला मिलता है । बहुत बहुत शुक्रिया ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 17, 2017 at 8:58pm

आद० रवि भैया ,आज के माहौल पर  बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने बहुत खूब शेर दर शेर बधाई कुबूलें 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 16, 2017 at 11:28pm

आ० रवि भाई, आपकी ग़ज़ल चुनाव-चुनाव कर गयी !.. :-))

बहुत खूब आदरणीय ! 

लेकिन मतला के उला में आपकी सशक्त तार्किकता क्यों उथली पड़ी है भाई ? मेरे हिसाब से चुनाव के दिनों में ख़्वाब ही तो दिखाये जाते हैं ! क्या मैं गलत कह रहा हूँ ? भाई हाथ कंगन को आरसी क्या ? भाई लोग रोज़ नमूदार हो रहे हैं .. :-))

शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 16, 2017 at 5:12pm

आदरनीय रवि भाई , सामयिक गज़ल बहुत अच्छी कही है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by Ravi Shukla on February 16, 2017 at 11:43am

आदरणीय डाक्‍टर गोपाल नारायण जी गजल पर आपका प्रोत्‍साहन पाकर बहुत खुश्‍ाी हुई । सादर

Comment by Ravi Shukla on February 16, 2017 at 11:42am

आदरणीय सुरेन्‍द्र जी आपको गजल पसंद आई बहुत बहुत धन्‍यवाद प्रासंगिक है इसलिये इन दिनाे ही पोस्‍ट कर दी ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 15, 2017 at 7:50pm

आ० शुक्ला जी .  बहुत गजब  आदरणीय

Comment by नाथ सोनांचली on February 15, 2017 at 3:45pm
आदरणीय गुरुदेव सादर अभिवादन स्वीकार करें। बेहतरीन ग़ज़ल जो आज कल विधान सभा चुनाव को देखते हुए प्रासंगिक भी है, पर एक शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर

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