For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -कर गया हुस्न को आँखों से इशारा किसने

2122 1122 1122 22
मुद्दतों बाद तुझे हद से गुज़ारा किसने ।
कर गया हुस्न को आँखों से इशारा किसने ।।

खास मकसद को लिए लोग यहां मिलते हैं ।
फिर किया आज मुहब्बत से किनारा किसने ।।

आज महबूब के आने की खबर है शायद ।
जुल्फ रह रह के कई बार संवारा किसने ।।

ऐ जमीं दिल की निशानी को सलामत रखना ।
मेरी ताबूत पे लिक्खा है ये नारा किसने ।।

हो गया था मैं फ़ना वस्ल की ख्वाहिश लेकर ।
चैन आया ही नहीं दिल से पुकारा किसने ।।

चोट गहरी थी मगर तुझसे शिकायत इतनी ।
जख़्म सीने का मिरे फिर से उभारा किसने ।।

आइना तोड़ तो डाला है बड़ी शिद्दत में ।
तेरे चेहरे पे किया आज नज़ारा किसने ।।

इश्क़ छुपता है कहाँ लाख छुपा कर देखो ।
चन्द रातों में तुझे खूब निखारा किसने ।।

भूल जाने का तमाशा है तेरी फ़ितरत में ।
अक्स मेरा था वो कागज़ पे उतारा किसने ।।

फैसले सोच समझकर तो किया करआलिम ।
कह गया तुम से अभी तक हूँ कुँआरा किसने ।।

टूट जाते हैं भरम सच से ।अदावत करके ।
ढूढ़ पाया है यहां दिन में सितारा किसने ।।

डूब जाता है मुकम्मल वो नज़र में तेरी ।
गम ए उल्फत को दिया खूब सहारा किसने ।।

-- नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 546

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 14, 2017 at 6:55pm

अच्छी ग़ज़ल हुई है आद० नवीन मणि जी दिल से दाद प्रेषित है आद० समर भाई की इस्स्लाह के अनुसार संशोधन पश्चात् ग़ज़ल का रूप ही अलग होगा 

Comment by Mohammed Arif on February 10, 2017 at 6:34pm
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब, सुंदर ग़जल हुई है ,बधाई कुबूल करें । बाक़ी समर साहब ने सबकुछ ठीक कर दिया है ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on February 10, 2017 at 4:57pm
आदरणीय कबीर सर सादर नमन । वाह सर क्या खूबसूरत इस्लाह मिली है । तहे दिल से वन्दन करता हूँ । नमन ।
Comment by Samar kabeer on February 10, 2017 at 3:27pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल बहुत उम्दा हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
मतले के सानी मिसरे में 'कर गया'को "कर दिया'करना उचित होगा ।
'आज महबूब के आने की ख़बर है शायद
ज़ुल्फ़ रह रह के कई बार सँवारा किसने'
इस शैर में 'ज़ुल्फ़'शब्द स्त्रीलिंग है, इसलिये 'सँवारी'होना चाहिये, सानी मिसरा यूँ कह सकते हैं:-
"उलझे गैसू को कई बार सँवारा किसने"
चौथे शैर में 'ताबूत'पुल्लिंग है, इसलिये 'मेरी'को "मेरे"करना उचित होगा ।

'हो गया था मैं फ़ना वस्ल की ख़्वाहिश लेकर
चेन आया ही नहीं दिल से पुकारा किसने'
इस शैर में जब कोई फ़ना ही हो गया तो फिर बाक़ी की बात ही बेकार हुई न ,इस शैर को यूँ कह सकते हैं :-
"हो रहा था मैं फ़ना वस्ल की ख़्वाहिश लेकर
आ गया चेन,मुझे दिल से पुकारा किसने"

'चोट गहरी थी मगर तुझसे शिकायत इतनी
ज़ख़्म सीने का मेरे फिर से उभारा किसने'
इस शैर में मफ़हूम साफ़ नहीं है,ये बात यूँ कह सकते हैं:-
"चोट गहरी थी मगर भूल चुका था मैं तो
ज़ख़्म सीने का मेरे फिर से उभारा किसने"
सातवें शैर के सानी मिसरे में 'पे'की जगह "का" कर लें ।
दसवें शैर का सानी मिसरा यूँ कहें :-
'कह दिया तुझ से अभी तक हूँ कुंवारा किसने'

ग्यारहवें शैर का सानी मिसरा साफ़ नहीं है,यूँ कह सकते हैं:-
"आज तक ढूंढा यहाँ दिन में सितारा किसने"
बाक़ी शुभ शुभ ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on February 10, 2017 at 11:27am
मित्र आशुतोष भाई मैंने अपनी मूल प्रति में कर दिया कल लिख लिया था । और कोई सलाह हो तो जरूर बताना । अच्छी लगी आपकी टिप्पणी । सादरनमन । बस कबीर सर की टिप्पणी की प्रतीक्षा है फिर फाइनल आडिट करता हूँ ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 10, 2017 at 9:50am

आदरणीय नवीन जी इस सुंदर रचना पर हार्दिक बधायी

कर गया हुस्न को आँखों से इशारा किसने...........इसको बार बार पढ़ रहा हूँ कर गया .....इशारा किसने कुछ कुछ खटक रहा है ..कर दिया......इशारा करने से कैसा लगेगा ..बस ये मेरी व्यक्तिगत राय है ..गलत भी हो सकती है अन्यथा मत लीजियेगा सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
22 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service