For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शामिल हुआ

मौसम की दौड़ में  

नव वर्ष भी।

 

चंचल नदी

उछली कहीं गिरी 

बहती चली।

 

जीवन सांझ

यादों में डूबा मन

खुला झरोखा।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 586

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on January 16, 2017 at 9:02pm

 हाइकू की प्रत्येक पंक्ति का अपने अर्थ के लिए स्वतंत्र होना आवश्यक है. इस प्रयास के लिए बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 16, 2017 at 8:39pm

आदरणीया नीलम उपाध्याय जी, आपने तीनों हाइकू बहुत बढ़िया लिखे हैं. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 16, 2017 at 8:06pm

आदरनीया नीलम जी , अच्छी हाइकु रचना हुई है , हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by narendrasinh chauhan on January 16, 2017 at 6:13pm

बेहतरीन हाइकु रचना

Comment by Neelam Upadhyaya on January 16, 2017 at 3:04pm

लगभग चार वर्षों के अंतराल के बाद फिर OBO पर फिर उपस्थित हुई हूँ – डरते-डरते कुछ प्रयास किया । आप सभी आदरणीयों की टिप्पणी से मनोबल बढ़ गया है । आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद ।                       

Comment by Neelam Upadhyaya on January 16, 2017 at 3:04pm

लगभग चार वर्षों के अंतराल के बाद फिर OBO पर फिर उपस्थित हुई हूँ – डरते-डरते कुछ प्रयास किया । आप सभी आदरणीयों की टिप्पणी से मनोबल बढ़ गया है । आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद ।                       

Comment by Samar kabeer on January 16, 2017 at 11:16am
मोहतरमा नीलम उपाध्याय जी आदाब,बढ़िया हुए आपके हाइकू,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by manju sharma on January 16, 2017 at 1:22am

बेहतरीन हाइकु रचनाओं के लिए बधाई और शुभकामनाएँ आदरणीया नीलम उपाध्याय जी।

Comment by Mohammed Arif on January 15, 2017 at 5:24pm
आदरणीया नीलम उपाध्यायजी , नमस्कार ! नन्हे से , प्यारे से हाइकु की प्रस्तुति के लिए ढेरों बधाईयाँ ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 15, 2017 at 11:08am
गहरे भाव सम्प्रेषित करती बेहतरीन हाइकू रचनाओं के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ आदरणीया नीलम उपाध्याय जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service