For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अदालत में बैठे बैठे उनकी आंख लग गयी, अभी तक जज साहब नहीं आये थे और लगता था कि आज भी नहीं आएंगे| लगभग साल होने को आये थे लेकिन मामला पहली सुनवाई के बाद आगे नहीं बढ़ पाया था| पता नहीं और कितने महीने या साल लग जायेंगे इसमें, उनको खुद को समझ में नहीं आ रहा था|
शादी के कुछ ही हफ्ते बाद पत्नी ने शिकायत करना शुरू कर दिया और एक दिन वह अपना सूटकेस लेकर निकल गयी| शाम को जब उन्होंने फोन किया तो उसने साफ़ साफ़ कह दिया कि वह उनके साथ नहीं रह सकती| उन्होंने समझाने की बहुत कोशिश की, उसके घर भी गए लेकिन न तो पत्नी ने उनसे सीधे मुंह बात की और न ही उसके परिवार वालों ने| उलटे कुछ दिन बाद ही उनके पास तलाक का कागज़ आ गया और साथ में धमकी भी कि अगर ज्यादा कुछ बोला तो दहेज़ उत्पीडन का मामला भी लगा देंगे| इस बीच उनको पता चल गया था कि पत्नी का अफेयर किसी और के साथ था| लेकिन उसने किस दबाव में उनसे शादी कर ली, उनको पता भी नहीं था| उन्होंने इस बाबत भी एकाध बार पूछा लेकिन जवाब नहीं मिला उनको|
उन्होंने एक बार अंगड़ाई ली और अगल बगल देखा| बगल में कोई अखबार छोड़ के चला गया था, जो कि आश्चर्यजनक था| आजकल तो लोग अखबार भी पढ़ने के बाद लेकर चले जाते हैं कि घर पर रहेगा तो रद्दी में बिक ही जायेगा| खैर उन्होंने अनमने मन से अखबार उठाया और उसपर नजर दौड़ाने लगे| एक खबर पर उनकी नजर टिक गयी, खबर ट्रिपल तलाक़ के बारे में थी और लिखा था कि इसका बंद होना बहुत जरुरी है| पढ़ते हुए वह सोच में डूब गए, कुछ समय पहले तक तो उनका भी यही मानना था कि इसे बंद होना चाहिए| लेकिन आज वह खुद तंय नहीं कर पा रहे थे कि अगर दोनों तलाक़ के लिए तैयार हों तो क्या ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए|
तभी कमरे में शोर बढ़ गया और उनकी तन्द्रा भंग हुई| सामने देखने पर पता चला कि आज भी जज साहब नहीं आएंगे और लोग अगली तारीख लगवाने के लिए लग गए थे| उन्होंने भी विचारों को झटका दिया और अगली तारीख लगवाने के लिए बढ़ गए|
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 571

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on December 12, 2016 at 12:26pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय समर कबीर साहब

Comment by Samar kabeer on December 12, 2016 at 10:44am
जनाब विनय कुमार सिंह जी आदाब,बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by विनय कुमार on December 11, 2016 at 11:12pm

बहुत बहुत आभार आ तेज वीर सिंह जी 

Comment by विनय कुमार on December 11, 2016 at 11:11pm

बहुत बहुत आभार आ जितेंद्र पस्टारिया जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 11, 2016 at 8:16pm

वर्तमान से एक अच्छा विषय उठाकर , साझा किया है आपने आदरणीय विनय जी। प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार कीजिये 

Comment by TEJ VEER SINGH on December 11, 2016 at 5:00pm

बेहतरीन प्रस्तुति। हार्दिक बधाई आदरणीय विनय जी।

Comment by विनय कुमार on December 9, 2016 at 2:14pm

बहुत बहुत आभार आ मिथिलेश वामनकर जी, हो सकता है थोड़ी जरुरत हो कसावट की| देखते हैं बाकी गुणीजन क्या कहते हैं  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 8, 2016 at 11:56pm

आदरणीय विनय जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. इस लघुकथा में मुझे कसावट की जरुरत महसूस हुई. चूंकि इस विधा का अभ्यासी नहीं हूँ इसलिए गुनीजनों की राय की प्रतीक्षा है. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service