For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वागीश्वरी सवैया  [सूत्र- 122×7+12 ; यगण x7+लगा]


करो नित्य ही कृत्य अच्छे जहां में सखे! बोल मीठे सभी से कहो।।
दिलों से दिलों का करो मेल ऐसा, न हो भेद कोई न दुर्भाव हो।।
बनो जिंदगी में उजाला सभी की, सभी सौख्य पाएं उदासी न हो।।
रखो मान-सम्मान माँ भारती का, सदा राष्ट्र की भावना में बहो।।



मत्तगयन्द सवैया [सूत्र-211×7+22 ; भगणx7+गागा]

यौवन ज्यों मकरन्द भरा घट, और सुवासित कंचन काया।
भौंह कमान कटार बने दृग, केश घने सम नीरद-छाया।।
देख छटा मुख की अति सुंदर, पूनम का रजनीश लजाया।
ओष्ठ खिली कलियाँ अति कोमल, देख हिया अलि का हरसाया।।

रचना-रामबली गुप्ता
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1089

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on October 25, 2016 at 3:10pm
जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,हम तो इस विधा के बारे में कुछ नहीं जानते,और जैसा कि जनाब सौरभ भाई ने फरमाया है, तारीफ ही कर ढकते हैं,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार कीजिये ।
Comment by रामबली गुप्ता on October 25, 2016 at 12:25pm
सादर आभार आद0 भाई सुनील प्रसाद जी
Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on October 25, 2016 at 7:57am
बहुत ही सुंदर श्रृंगारिक सवैया रचित हुई है जिसके लिए हार्दिक बधाई आपको आदरणीयआदरणीय रामबली गुप्ता जी सादर नमन सहित।
Comment by रामबली गुप्ता on October 24, 2016 at 4:49pm

बहुत बहुत क्षमाप्रार्थी हूँ। भूल हो गयी। समयाभाव के कारण रचनाकर्म तो कम हो ही पा रहा है पोस्ट करने में भी शीघ्रता कर दे रहा हूँ। अभी सुधार देता हूँ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 24, 2016 at 4:37pm

प्रस्तुत हुई रगणात्मक और भगणात्मक सवैयों के सूत्र लिख देने में क्या आपत्ति है ? इस विन्दु पर हमारी आपकी बातचीत हो चुकी है. दूसरे, सवैया को चार पंक्ति में ही लिखें. तो अन्य पाठकों को भी चार पदों (पंक्ति) में अपनायी गयी तुकान्तता का अर्थ भी स्पष्ट हो सकेगा. साथ ही, वे इनके विन्यास पर समझ बनाना चाहें तो उन्हें लाभ हो. इस विन्दु पर भी हमारी-आपकी बातचीत हो चुकी है.

सवैया विधा पर अभी के सक्रिय सदस्यों में से कोई अभ्यास नहीं कर रहा है. इस हिसाब से आपका दायित्व क्या बढ़ नहीं जाता ? अन्यथा अधिकांश सदस्य भाव पक्ष पर वाह-वाह करते हुए शिल्प को लेकर ’कोई जानकारी नहीं है’ कहते हुए आगे निकल जायेंगे. या प्रस्तुति पर सदस्यों की आमद कम होगी.

एक कहावत बहुत प्रसिद्ध है, ’बेल (बिल्व फल) पके तो कौए को क्या लाभ ”

अपनी छान्दसिक रचनाओं को हम कौओं के बीच बेल का फल मत घोषित कीजिए.  

शुभेच्छाएँ

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service