For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-लिए दर्द दिल में पुराने चला हूँ-रामबली गुप्ता

वह्र-122 122 122 122

लिए दर्द दिल में पुराने चला हूँ
गमे इश्क के गीत गाने चला हूँ

जहाँ पल खुशी के बिताये थे तुम सँग
वहीं आज आँसू बहाने चला हूँ

बयाँ हाले' दिल भी करूँ क्या किसी से
मैं' सब खुद से' ही अब छिपाने चला हूँ

थी ये जिंदगी आप ही की ऐ' साहिब
उसे आप ही पे लुटाने चला हूँ

मुबारक तुम्हें चाँद सूरज सितारे
अँधेरों को' मैं आजमाने चला हूँ

खुली आँख का ख्वाब था प्यार तेरा
यकीं आज दिल को दिलाने चला हूँ

छुपा कर गमों को सरे बज़्म यारों
है' मुश्किल मगर मुस्कुराने चला हूँ

लिए आँसुओं का छलकता हुआ जाम
'बली' जश्न गम का मनाने चला हूँ

रचना-रामबली गुप्ता
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 985

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on October 22, 2016 at 10:51pm

आदरणीय रामबली गुप्ता साहेब ...............बहुत खूब !!! बधाई  आपको |

Comment by रामबली गुप्ता on October 21, 2016 at 9:28pm
बहुत बहुत धन्यवाद आद0 समर भाई साहब
Comment by Samar kabeer on October 21, 2016 at 2:43pm
मुकेश के गाने और आपके शैर के भाव अलग हैं इसलिए बदलने की ज़रूरत नहीं ,पुनः बधाई इस सृजन के लिये ।
Comment by रामबली गुप्ता on October 21, 2016 at 2:33pm
आद0 समर भाई साहब आपका हृदय से आभार। ग़ज़ल आपको अच्छी लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ। टाइप करते समय कुछ शब्द अधिक टाइप हो गया था। संशोधन कर चुका हूँ। निम्नलिखित पर आपके सुझाव की अपेक्षा है-
मुकेश के गाने का शेर इस प्रकार है-

घटाओं तुम्हें साथ देना पड़ेगा,
मैं फिर आज आँसू बहाने चला हूँ।

मैंने जो शेर लिखा है वो इस प्रकार है-

जहाँ पल खुशी के बिताये थे तुझ सँग,
वहीं आज आँसू बहाने चला हूँ।

क्या मुकेश के गए गाने के शेर और मेरे शेर को समान माना जायेगा? यदि ऐसा होगा तो मुझे अपना ये शेर बदलना पड़ेगा। कृपया मार्गदर्शन करें।सादर
Comment by Samar kabeer on October 20, 2016 at 8:59pm
जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
दूसरे शैर का सानी मिसरा'वहीं आज आँसू बहाने चला हूँ'ये मिसरा तो मुकेश के गाये हुए गीत का है शायद ?
तीसरे शैर के सानी मिसरे में 'कुछ'शब्द ज़ियादा होने से लय बाधित हो रही है,देखिएगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service