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अपनी मिट्टी से पैदा हुई
कपास की बाती
अपनी मिट्टी
अपने खेतों की
सरसों का तेल
अपने घर में
बिलोया गया
शुद्ध देशी घी
अपने कुम्हार के चाक पर
बना अपनी मिट्टी का
दीपक
जलना चाहिए
अपनी मिट्टी पर
अपने मान पर
अपनी मर्यादा पर
अपने शिखर पर
खासकर
अपने मन पर।
कह दो पडोसियों से
वापस ले जाएं
अपनी चमचमाती चीजें
चिरागों के मौसम में
चमकेंगे हमारे चिराग ही हमेशा
शहीदों की चिताओं पर
आँखें कौंधियाती
विदेशी लड़ियों से
शहादत
अपमान नहीं सहेगी।
क्यों भूल गए बच्चे,
बनाना
मिट्टी के खिलौने
रेडिमेड
संस्कृति और रोजगार
किसी गरीब का
बचपन नहीं उजड़ना चाहिए।
मिट्टी का दीपक
गरीब की रोजी
फसल का दाम
देश की समृद्धि
सुरक्षा
केवल एक
और
केवल एक प्रयास।

सुरेश कुमार ' कल्याण '
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 398

Comment

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Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 8, 2016 at 3:41pm
आदरणीय श्री सुशील सरना जी हार्दिक आभार ।
Comment by Sushil Sarna on October 8, 2016 at 12:52pm

आज के हालात  चित्रित करती इस अतुकांत प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आ.सुरेश जी। 

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