दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
-----------------------------
देवलोक भी जोहता,
चकवे की ज्यों बाट।
संत सनातन संग कब,
सजता संगम घाट।1।
तीर्थराज के घाट पर,
आ पहुँचे वो संत।…
ContinueAdded by सुरेश कुमार 'कल्याण' on February 4, 2025 at 11:00am — No Comments
*दोहा अष्टक*
------------------
पहन पीत पट फूलते,
सरसों यौवन बंध।
चिकनाहट सी गात में,
श्वास तेल की गंध।1।
उड़ते हुए पराग कण,
मधुकर कर गुंजार।…
ContinueAdded by सुरेश कुमार 'कल्याण' on January 29, 2025 at 5:00pm — 2 Comments
छः दोहे (प्रकृति)
----------
अलंकार सम रूख धर,
रंग बिरंगा रूप।
पुष्प पात फल वृन्त रस,
बाँट रहे ज्यों भूप।1।
धरा गगन के मध्य में,
मेघों का संचार।
शांत करें तन ताप मन,
ज्यों शीतल उद्गार।2।
हर्षाए से मेघ भी,
जल भर लाए थाल।
नव अंकुर मुँह खोलते,
ज्यों तरिणी…
Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on January 24, 2025 at 5:30pm — 1 Comment
*दोहे (प्रकृति)*
कुदरत पूजूँ प्रथम पद,
पग - पग पर उपकार।
अस्थि चर्म की देह मम,
पंच तत्त्व का सार।1।
दसों दिशाएं मन बसीं,
करते कवि अरदास।
धरा अग्नि रवि वायु…
ContinueAdded by सुरेश कुमार 'कल्याण' on January 18, 2025 at 12:30pm — 1 Comment
मकर संक्रांति
-----------------
प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआत
सूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमन
होता जीवन में नव संचार
बाँट रहे तिल शक्कर मूंगफली वस्त्र
ढोल पर तक - धिन - तक - धिन थिरकते…
ContinueAdded by सुरेश कुमार 'कल्याण' on January 13, 2025 at 8:00pm — 1 Comment
सूरज सजीले साल का
------------------------------
ठंड से ठिठुरती सुनसान गलियां
ओसाए हुए से सुन्न पड़े खेत
घुटती जमती लाचार सी जिंदगी
धुंध के आगोश में गुम होता जीव - जगत
ठिठुरती ठिठुरन को दूर करने
आ गया सजकर सूरज
नए नवेले सजीले साल का ।
शीत सी शीतल होती मानवता
नूतन निर्माण करने
निचले - कुचले
पद - दलित का कल्याण करने
साधु सन्यासी का त्राण करने
विप्लव का…
ContinueAdded by सुरेश कुमार 'कल्याण' on December 31, 2024 at 7:57pm — No Comments
नूतन वर्ष
------------
दुल्हन सी सजी-धजी
गुजर रहे साल की अंतिम शाम ।
लोग मग्न हैं
जाने वाले वर्ष की विदाई में
कुछ नवागंतुक के स्वागत में।
कोई मंत्र उच्चारण - हवन करने में …
ContinueAdded by सुरेश कुमार 'कल्याण' on December 31, 2024 at 7:35pm — 3 Comments
एक बूँद
------------
सिहर गया तन - बदन
झूम उठा रोम - रोम
नयनों के कोने से मस्ती की झलक
कदमों की शिथिलता
होती हुई गतिमान
मन में उठती लहरें जैसे
बातें कर रहा हो हवा से अश्व
सबकुछ लगता बदला - बदला सा
जब तन से तन्मय हुई
एक बूँद प्रेम की छुअन ।
मौलिक एवं अप्रकाशित
सुरेश कुमार 'कल्याण'
Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on December 23, 2024 at 11:19am — 1 Comment
मुझे बता दो कोई
मेरी कविता की कोई कमियाँ
मेरी ही नहीं
चाहने वालों के संग
न चाहने वालों की भी
मात्र कविता ही नहीं
जिंदगी भी
सुधारना चाहता हूँ मैं
प्रशंसा सुनना चाहता है मन
कमियाँ बुरी लगती हैं।
मौलिक एवं अप्रकाशित
सुरेश कुमार 'कल्याण'
Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on December 23, 2024 at 9:59am — No Comments
कहते गीता श्लोक में, स्वयं कृष्ण भगवान।
मार्गशीर्ष हूँ मास मैं, सबसे उत्तम जान।1।
ब्रह्मसरोवर तीर पर, सजता संगम सार।
बरसे गीता ज्ञान की, मार्गशीर्ष में धार।2।
पावन अगहन मास में, करके यमुना स्नान।
अन्न वस्त्र के दान से, खुश होते भगवान।3।
चुपके - चुपके सर्द ले, मार्गशीर्ष की ओट।
स्वर्णकार ज्यों मारता, धीमी - धीमी चोट।4।
साइबेरियन सर्द में, खग करते परवास।
भारत भू पर शरण लें, मार्गशीर्ष में…
ContinueAdded by सुरेश कुमार 'कल्याण' on December 9, 2024 at 8:30pm — 1 Comment
वह दरदरी दरी का रंगीन झोला
डाकिए की तरह कंधे पर लटका कर
हाथ में लकड़ी की तख्ती लेकर
विद्यालय जाना
पुरानी काली कूई पर
तख्ती पोंछकर मुल्तानी मिट्टी मलना
धूप में सुखाकर सुलेख लिखना
और वाहवाही लूटना
मेरे सुखद अनुभव जिनसे
अगली पीढ़ियाँ अनभिज्ञ रहेंगी।
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on December 4, 2024 at 2:00pm — 3 Comments
घोर घटा घन नाच नभ, मचा मनों में शोर।
विरह विरहणी तड़पती, सावन चंद चकोर।।
सुरेश कुमार 'कल्याण'
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on November 21, 2024 at 3:09pm — No Comments
आग लगी आकाश में, उबल रहा संसार।
त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।
बरस रहे अंगार, धरा ये तपती जाए।
जीव जगत पर मार, पड़ी जो सही न जाए।
पेड़ लगा 'कल्याण', तुझी से यह आस जगी।
हरी - हरी हो भूमि, बुझे जो यह आग लगी !
सुरेश कुमार 'कल्याण'
मौलिक एवम् अप्रकाशित
Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on May 29, 2024 at 8:00pm — 2 Comments
कुंडलियां*
हर घर की मुंडेर पर,
दीप जले चहुँ ओर।
दीवाली की रात है,
बाल मचाएं शोर।
बाल मचाएं शोर,
शोर ये बड़ा सुहाना।
भूलचूक सब भूल,
रहा लग गले जमाना।
खाओ रे *'कल्याण',*
मिठाई डिब्बे भर - भर।
खुशियाँ मिली अपार,
हुआ है रोशन हर घर।
*दोहा*
बढ़ें उजाले की तरफ,
हम सबके ही पांव।
इस दीवाली ना रहे,
अंधेरे में गांव।।
मौलिक एवम् अप्रकाशित
सुरेश कुमार 'कल्याण'
Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 27, 2022 at 8:34pm — No Comments
बयालीस हैं जा चुके,बीत रहा है काल।
सुखदुख चलते साथ में,जीवन इक जंजाल।।
यारों की ये कामना,रहे सदा ही साथ।
यार सलामत हों सदा, हे नाथों के नाथ।।
उन्यासी उन्नीस सौ,माह सितंबर जान।
सोलहवीं तारीख थी, जब जन्मे 'कल्याण'।।
गुरु आभे ने लिख दई,यही जन्म तारीख।
गुरु न देते ज्ञान तो, फिरूं मांगता भीख।।
मौलिक एवम् अप्रकाशित
Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 17, 2021 at 12:01pm — No Comments
हिंदी हमारी मातृभाषा, हिंदी जीवन का आधार ।
हिंदी की महिमा को गाते,करते हम इसका प्रचार ।।
हिंदी के बिना जीवन सूना,हिंदी देती सबको ज्ञान ।
मन के भाव प्रकट हों सारे, पूरे करती ये अरमान ।
मातृभाषा की महिमा देखो, सुनकर होता है अभिमान ।
कोर्ट कचहरी दफ्तर सारे, बाबू कलेक्टर चौकीदार ।
हिंदी की महिमा........................................... ।
माँस से नाखून दूर ना जाएँ, कौए चलें ना हंस की चाल ।
हिंदी के सब रंग में रंग लो, अपनी…
ContinueAdded by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 13, 2020 at 11:30am — 3 Comments
Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on January 31, 2017 at 11:30am — 6 Comments
Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on December 22, 2016 at 2:30pm — 14 Comments
Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on November 28, 2016 at 11:02am — 16 Comments
Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 23, 2016 at 12:48pm — 10 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2025 Created by Admin.
Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |