For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ( शुरुआते मुहब्बत हो गयी )

ग़ज़ल ( शुरुआते मुहब्बत हो गयी )

------------------------------------------

(फ़ाइलातुन -फ़ाइलातुन -फ़ाइलातुन- फाइलुन )

यक बयक मुझ पर सितमगर की इनायत हो गयी ।

ऐसा लगता है शुरुआते  मुहब्बत   हो  गयी ।

की वफ़ा गैरों से अहदे इश्क़ अपनों से किया

जानेमन यह तो अमानत में खयानत हो गयी ।

यह नतीजा तो अज़ीज़ों पर  यक़ी करने का है

यूँ नहीं पैदा सनम के दिल में नफरत हो गयी ।

दिल की अब कीमत कहाँ है हुस्न के बाजार में

ऐसा लगता है मुहब्बत में तिजारत  हो गयी ।

फूल क्या हैं खार भी तेरे मुखालिफ हो गए

बागबाँ  लगता है गुलशन में बगावत हो गयी ।

वह तसव्वुर में मेरे रहते हैं हर दम दोस्तों

कौन कहता है मेरी दिलबर से फुरक़त हो गयी ।

वह अता करने ही वाले हैं वफाओं का सिला

मुझको यह तस्दीक़ सुनते सुनते मुद्दत हो गयी ।

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 634

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 7, 2016 at 8:18pm

मोहतरम जनाब रवि साहिब ,  ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Ravi Shukla on October 7, 2016 at 11:26am

आदरनीय तस्दीक अहमद जी  बहुत अच्छी गज़ल कही है दिल से बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 5, 2016 at 9:23pm

मोहतरम  जनाब  गिरिराज    साहिब  , ग़ज़ल ,में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 5, 2016 at 9:22pm

मोहतरम  जनाब  ब्रजेश  कुमार   साहिब  , ग़ज़ल ,में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 5, 2016 at 9:21pm

मोहतरमा  कल्पना   साहिबा  , ग़ज़ल ,में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 5, 2016 at 9:20pm

मोहतरम जनाब शकूर  साहिब , ग़ज़ल ,में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 5, 2016 at 9:19pm

मोहतरम जनाब कालीपद प्रसाद साहिब , ग़ज़ल ,में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी ---


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 5, 2016 at 8:58pm

आदरनीय तस्दीक भाई , बहुत अच्छी गज़ल कही है दिल सेबधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 5, 2016 at 8:18pm

बेहद खूबसूरत ग़ज़ल हुई बहुत बहुत बधाइयाँ 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 5:05pm

बेहद खुबसूरत ग़ज़ल हुई है जनाब तस्दीक साहब | बहुत बहुत बधाई आपको |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
20 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service