For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल(बंदिशों को तोड़कर....)

2122 2122 2122 212
बंदिशों को तोड़कर हलचल करूँगाआज भी
बात मन की बेझिझक मैं तो कहूँगा आज भी।1

फिर गयीं नजरें बहुत ही क्या हुआ कुछ गम नहीं,
आँख में बनकर सपन मैं तो रहूँगा आज भी।2

ले गये कितने बवंडर तोड़ कर कलियाँ मगर,
डाल पर इक फूल बन मैं तो सजूँगा आज भी।3

टूटती अबतक रही हैं गीत की लड़ियाँ मगर,
राग बन हमराज का मैं तो बजूँगा आज भी।4

लुट गये कितने सपन बेढ़ब फिजाओं के तले,
इक घरौंदा रेत पर फिर से रचूँगा आज भी।5

होंठ जलते हैं बहुत अब अंतरों में जल नहीं,
पत्थरों के बीच बन सरिता बहूँगा आज भी।6

मत समझ मुझको हिमालय दाह रखता हूँ बहुत,
चूम ले जो इक किरण फिर तो ढ़लूँगा आज भी।7
मौलिक व अप्रकाशित@मनन

Views: 539

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on September 8, 2016 at 11:01am
आदरणीय गिरिराज भाई उत्साह वर्द्धन हेतु आपका शुक्रिया।
Comment by Manan Kumar singh on September 8, 2016 at 10:59am
आदरणीय रामबली भाई जी,हौसला आफजाई के लिए आपका शुक्रिया।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 7, 2016 at 4:37pm

आदरनीय मनन भाई , खूबसूरत गज़ल हुई है , दिल से बधाइयाँ आपको । आ. समर भाई की बातों का खयाल कीजियेगा ।

Comment by रामबली गुप्ता on September 7, 2016 at 5:49am
वाह आद० मनन भाई जी बहुत ही सुंदर ग़ज़ल से नवाज़ा है आपने मंच को। आकाश भर बधाई लीजिये।
Comment by Manan Kumar singh on September 6, 2016 at 10:13pm
आदरणीया प्रतिभाजी, रचना को मान देकर आपने मुझे भी धन्य किया है।आभारी हूँ आपका,सादर।
Comment by pratibha pande on September 6, 2016 at 7:17pm

ले गये कितने बवंडर तोड़ कर कलियाँ मगर,
डाल पर इक फूल बन मैं तो सजूँगा आज भी।..  वाह ..सकारात्मकता से भरी इस प्रभावशाली ग़ज़ल पर आपको बधाई प्रेषित है आदरणीय मनन जी 


Comment by Manan Kumar singh on September 5, 2016 at 2:17pm
मोहतरम समर कबीर साहब,आपकी नजरें इनायत का दिली शुक्रिया स्वीकार करें।आपके उद्गार मेरे लिए मार्ग में चमचमाते मील के पत्थर हैं,आगे की यात्रा आसान करने के लिए।आपकी इस्लाह पर गौर करता हूँ अभी,सादर।
Comment by Samar kabeer on September 5, 2016 at 11:53am
जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
दूसरे शैर के ऊला मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर का दोष आरहा है, "बहुत तो" इसे इस तरह कर लेंगे तो ये दोष निकल सकता है:-
फिर गईं नज़रें बहुत सी,क्या हुआ कुछ ग़म नहीं"

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
8 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
11 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
13 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service