For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत,हरिगीतिका छ्न्द पर प्रथम प्रयास

नारी
------
अबला बनीं सबला अभी तो हम उन्हें सम्मान दें
उत्साह से वे कर रहीं हर काम को अब मान दें

चलते रहे यह मानकर कुछ कर नहीं सकती कभी
कमजोर उनको मानते अब तक चले हैं जी सभी
हैं जानते यह हम सभी सबला हुई अब नार हैं
जीवन उन्हीं से चल रहा,वे ही सबल आधार हैं
नारी सही हैं बढ़ रहीं अपने वतन पर जान दें
उत्साह से वे कर रहीं हर काम को अब मान दें।

इक कल्पना ने था रचा इतिहास सब हैं जानते
आकाश पर लहरा गई थी जो ध्वजा पहचानते
लक्ष्मी बनीं थी काल ले तलवार गौरी फ़ौज पे
दुर्गावती ने वार दी थी जान कौमी मौज पे
संकट पड़े जो कौम पर मिटने नहीं ये आन दें
उत्साह से वे कर रहीं हर काम को अब मान दें।

नारायणी भी नाम है जिसका उसे पहचान लें
ये बढ़ रही हर क्षेत्र में सब आज यह भी जान लें
घर ही नहीं अब हर जगह आया इन्हीं का दौर है
अवतार दुर्गा की सभी हैं ये नहीं कुछ और हैं
अपने इरादों से बढ़ा वे देश की भी शान दें
उत्साह से ये कर रही हर काम को अब मान दें।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 741

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 7, 2016 at 5:16pm
बहुत् बहुत् हार्दिक आभार आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी।सादर नमन
Comment by Ashok Kumar Raktale on August 7, 2016 at 5:12pm

आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी सादर, हरिगीतिका पर सुंदर गीत रचा है आपने.बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. इंगित पंक्ति को छोड़ दें तो हर बंद बहुत सुंदर है. सादर.

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 6, 2016 at 4:44pm
मैं त्रुटियों पर पार पाने की कौशिश करूँगा श्रद्धेय सौरभ सर सादर।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 6, 2016 at 4:43pm
श्रद्धेय सौरभ सर सादर वन्दे!रचना पर आपका उपस्थित होना और सटीक समीक्षा एवं मार्गदर्शन सदैव ही गुणकारी होता है।आपने इस प्रयास पर समय दिया एवं मार्गदर्शन किया उसके लिए आभारी हूँ।मेरे प्रयासों पर आपकी सकारात्मक टिप्पणी मेरे आत्मविस्वास को सुदृढ़ करती है और आगे रचनाकर्म पथ पर अग्रसर होने को प्रेरित करती है।सादर नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 6, 2016 at 4:39pm
सादरआदरणीय डॉ गोपाल जी प्रयास को सराहने के लिए सादर हार्दिक आभार नमन।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 6, 2016 at 4:37pm
आदरणीय गिरिराज सर प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन के लिए सादर आभार संग नमन।मैं ठीक करने का प्रयास करूँगा।सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 6, 2016 at 1:48pm

आदरणीय सतविन्द्र जी, आपकी कोशिश प्रभावित तो करती ही है, आपका यह एकनिष्ठ प्रयास आश्वस्तकारी भी है. आपजिस तरह से छन्दों के साँचे में भाव-भावनाओं को संयोजित करने लगे हैं यह आपकी रचना-प्रक्रिया में अपनायी गयी गंभीरता का सूचक है.

यह आवश्य है कि कुछ शब्दों का आग्रह कई बार विवशता को भी ज़ाहिर करता है.

जैसे, कमजोर उनको मानते अब तक चले हैं जी सभी.. यहाँ ’जी’ का बलात प्रयोग स्पष्ट दिख रहा है.  

या फिर, जीवन उन्हीं से है चला वे ही सही आधार हैं .. तो अब कोई अन्य विकल्प भी उपलब्ध है क्या ? नहीं न ! इस पंक्ति को फिर यों करें हम - जीवन उन्हीं से चल रहा वे ही सबल आधार हैं.. भाव और कारण दोनों कुछ हद तक सहज ढंग से प्रस्तुत हुए दिख रहे हैं. 

इसी तौर पर रचनाओं के शब्दों का चयन और प्रयोग होना उचित होता है.  

हर लक्ष्य पाकर तब बढ़ा ये देश की शान दें ... इस पंक्ति की ओर अन्य सुधीजनों ने इशारा किया ही है. 

यह अवश्य है कि आपकी रचना प्रक्रिया से मन प्रसन्न है. 

सादर

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 6, 2016 at 12:54pm

अच्छा प्रयास .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 6, 2016 at 9:40am

आदरनीय सतविन्द्र भाई , नारी के सम्मान मे बहुत बढिया छंद रचना हुई है । हार्दिक बधाई आपको ।

हर लक्ष्य पाकर तब बढ़ा ये देश की शान दें    -- इस पंक्ति को एक बार जाँच लीजियेगा

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 4, 2016 at 10:46pm
अनुमोदन एवं प्रोतसाहन के लिए सादर हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी।सादर।मार्गदर्शन के लिए आभार।मैं ठीक करूँगा सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
29 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service