For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1) जलहरण घनाक्षरी छन्द
-------------------
यशोदा को छैया सखी,छलिया छबीलो छैल,
छेड़त है नित्य प्रति,यमुना के घाट पर ।।
कंकरिया मार मार,गगरिया फोर डारै,
ठाढ़ो ठहाके लगावै,खूब ढीठ डाँट पर ।।
छीन लेत दही दूध,लूट लेत माखन वो,
तके रोज ठाढ़ो रहै,गोकुल की बाट पर ।।
चंचल चपल चल,चितचोर श्याम लटो,
आज रात सपनें में,आइ गयो खाट पर ।।(1)


२)रूप घनाक्षरी छन्द :-

बात नहीं करें आज,रूठ गये बृजराज,
हार गए नैना सखी,श्याम मग हेर हेर ।।
यमुना कछार नहीं,कदंब की डार नहीं,
सूख गयो कण्ठ मेरो,बार बार टेर टेर ।।
रोम रोम रँग डारो,छलिया नें रँग कारो,
सखी साँझ भिनसारो,भरमायो घेर घेर ।।
सोच रही बार बार,कासे करूँ तक़रार,
नन्दलाल भाग रहे,काहे मुँह फेर फेर ।।(2)

डॉ राज बुन्देली
11/07/2016
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 786

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on July 15, 2016 at 6:54pm
आदरणीय गिरिराज जी सादर सादर आभार
Comment by कवि - राज बुन्दॆली on July 15, 2016 at 6:54pm
आदरणीय अशोक कुमार जी सादर धन्यवाद
Comment by कवि - राज बुन्दॆली on July 15, 2016 at 6:53pm
आदरणीय वात्सायन जी सादर आभार
Comment by कवि - राज बुन्दॆली on July 15, 2016 at 6:53pm
आदरणीय अखिलेश जी सादर आभार सुझाव सहर्ष स्वीकार है
Comment by कवि - राज बुन्दॆली on July 15, 2016 at 6:51pm
आदरणीय सौरभ जी नमन इस स्नेहाशीष हेतु,

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 14, 2016 at 9:18am
रूप घनाक्षरी का तो ज़वाब ही नहीं है, आदरणीय राज भाई। किन्तु पहली प्रस्तुति पर आदरणीय अखिलेश भाई के कहे का मैं भी समर्थन करता हूँ।
प्रस्तुति सहयोग के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ कह रहा हूँ।
शुभ शुभ
Comment by Ashok Kumar Raktale on July 14, 2016 at 12:03am

आदरणीय कवि राज बुन्देली जी सादर, दोनों ही छंद सदैव की भाँति बहुत सुंदर रचे हैं. बहुत -बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 13, 2016 at 10:30pm
आदरणीय राज बुंदेली सर बहुत खूब। आदरणीय अखिलेश सर का सुझाव सर्वथा ग्रहण किये जाने योग्य है। सादर
Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on July 13, 2016 at 12:52pm

आदरणीय राज भाई ,

द्वितीय छंद बहुत खूबसूरत और बार बार पढ़ने में विशेष आनंद है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें

प्रथम छंद के सभी दो चरणों में तुकांतता न होने से प्रवाह बाधित सा लगता है  इसलिए अंतिम सभी तृतीय और चतुर्थ चरणों का मजा भी कुछ कम हो जाता है।

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 13, 2016 at 11:16am

आदरणीय राज भाई , दोनो छंदों के भाव बहुत अच्छे लगे , हार्दिक बधाइयाँ । शिल्प का ज्ञान नही है , विद्व जन ही कुछ सार्थक कह पायेंगे ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
7 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
42 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
1 hour ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आप हमेशा वहीँ ऊँगली रखते हैं जहाँ मैं आपसे अपेक्षा करता हूँ.ग़ज़ल तक आने, पढने और…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. लक्ष्मण धामी जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..दो तीन सुझाव हैं,.वह सियासत भी कभी निश्छल रही है.लाख…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service