For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

165
भावजड़ता
========

अहंमन्यता की तलैया में
मूर्खता की कीचड़ से जन्म ले
ए भावजड़ता !
तू कमल की तरह खिलती है।


अपने आकर्षण के भ्रमजाल में
उलझाती है ऐसे,
कि सारी जनता
लहरों पर सवार हो बस तेरे गले मिलती है।


झूठ सच के विश्लेषण की क्षमता हरण कर
आडम्बर ओढ़े, गढ़ती है नए रूप।
धनी हों या मानी, गुणी हों या ज्ञानी
तेरे कटाक्ष से सब होते हैं घायल
क्या साधू क्या फक्कड़ , बड़े बड़े भूप।


भू , समाज और भूसमाज भावना
के अस्त्र चला कर हर दिशा में ,
बड़े चाव से देखती है अपना प्रसार,
सँकुचित मानसिकता में उलझाकर सबको।


धूल में मिलते खानदानों की आहें
सुनती है तू, कान खोलकर, भैरवी की तरह।
फिर भी तेरी ‘प्रज्ञा‘ प्रस्फुटित नहीं होती ,
और न होती है भंग तेरी तन्द्रा
उषाकाल की नीरवता में , ‘प्रभाती‘ की गुनगुनाहट से।
18 जून 2008
(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 665

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr T R Sukul on July 19, 2016 at 4:54pm

रचना पर आपकी उपस्थिति, अनुमोदन और उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए विनम्र आभार , आदरणीय सौरभ पाण्डे जी। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 11, 2016 at 11:06pm

एक-एक शब्द, एक-एक इंगित चकित करते हैं, आदरणीय ! भावजड़ता का बिम्ब पाठकों की व्यक्तिगत समझ के अनुसार आकार ग्रहण करने तथा भाव स्वीकार कर जीने के लिए स्वतंत्र है.

// भू , समाज और भूसमाज भावना 
के अस्त्र चला कर हर दिशा में ,
बड़े चाव से देखती है अपना प्रसार,
सँकुचित मानसिकता में उलझाकर सबको।//

भावजड़ता का सर्वव्यापी हो, कुछ पाखंडियों द्वारा पूरे समाज को तिष्ठावस्था में ढकेल संचालित किया जाना चकित कर देता  है.  

इसके दुष्प्रभाव का परिणाम लगातार नेपथ्य में जाते, जाते रहे, ’खानदान के खानदान’ ! ग़ज़ब का इंगित बन पड़ा है यह ! और, उषाकाल की नीरवता में , ‘प्रभाती‘ की गुनगुनाहट के सापेक्ष ’भैरवी’ का प्रयोग आपकी रचना को सीधे अगले उच्च स्तर पर ले जाने में सक्षम है आदरणीय.

इस गूढ़ और अत्यंत परिष्कृत रचना केलिए हृदय से धन्यवाद तथा शुभकामनाएँ 

ऐसी रचना में टंकण त्रुटियाँ या व्याकरण सम्बन्धी दोष अत्यंत कर्कश स्वर उत्पन्न करते हैं. संदर्भ,  कीचड़ पुल्लिंग शब्द है. तथा, संकुचित शुद्ध अक्षरी है. 

सादर

 

 

Comment by Dr T R Sukul on July 7, 2016 at 10:22pm

रचना की प्रशंसा करने के लिए विनम्र अाभार, अादरणीय रामबली गुप्ताजी । 

Comment by रामबली गुप्ता on July 7, 2016 at 11:06am
वाह आदरणीय भाव-बिम्ब के अप्रतीम प्रयोग के साथ गहन चिंतन का समावेश। अति उत्कृष्ट रचना। हृदय से बधाई स्वीकार करें। सादर
Comment by Dr T R Sukul on July 6, 2016 at 10:52pm

अादरणीय गिरिराज भंडारी जी , रचना की प्रशंसा करने के लिए विनम्र अाभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 6, 2016 at 8:33pm

आदरनीय टी आर सुकुल जी , इस गहन चिंतन से निकली रचना के लिये दिल से बधाइयाँ ।

Comment by Dr T R Sukul on July 6, 2016 at 4:49pm

धन्यवाद अादरणीय पवऩ जी। 

Comment by Pawan Jain on July 5, 2016 at 9:49pm

बहुत गहन,गंभीर रचना।बधाई आदरणीय सांझा करने हेतु।

Comment by Dr T R Sukul on July 5, 2016 at 6:39pm

रचना की सराहना के लिए विनम्र अाभार अाद ० सुशील सरना जी। 

Comment by Sushil Sarna on July 5, 2016 at 4:34pm

अादरणीय इस गहन भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आप हमेशा वहीँ ऊँगली रखते हैं जहाँ मैं आपसे अपेक्षा करता हूँ.ग़ज़ल तक आने, पढने और…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. लक्ष्मण धामी जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..दो तीन सुझाव हैं,.वह सियासत भी कभी निश्छल रही है.लाख…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..बधाई स्वीकार करें ..सही को मैं तो सही लेना और पढना…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी साहिब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, हार्दिक आभार, मेरा लहजा ग़जलों वाला है, इसके अतिरिक्त मैं दौहा ही ठीक-ठाक पढ़ लिख…"
8 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service