For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँ
=====
जननी से सबको मिला,जीवन ये अनमोल
कर्ज चुका सकते नहीं,यही समय के बोल।।

माँ ममता की मूर्ति बन,दे बच्चों को प्यार
सुख-सुविधा सब हर्ष से,उनपे देती वार।।

भोलेपन का माँ सही,करती है उपचार
प्रथम ज्ञान से सौंपती,उन्नत सोच-विचार।।

पहला शिक्षक मात ही,दे सन्तों सम ज्ञान
उठना,चलना ,बोलना,रिश्ते हैं सोपान।

बोल-चाल की सीख को,माँ से लेते जान
लेकर जग में जो चलें,उनको मिलता मान।।

जननी सबकी माँ सही,जन्मभूमि भी मात
इन दोनों के ही लिए,ध्यान धरो हे तात।।

=======

मौलिक एवम् अप्रकाशित

Views: 771

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on June 28, 2016 at 6:51pm
आदरणीय केवल प्रसाद शर्मा जी सादर नमन।आपके सुझाव और मार्गदर्शन से दोहे अत्यंत प्रभावी एवम् सुंदर बन पड़े हैं।आके प्रोत्साहन एवम् मार्गदर्शन के लिए कोटिशः आभार।मई इन दोहों को ठीक करने का प्रयास करूँगा।सादर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on June 28, 2016 at 6:48pm
प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी जी।सादर नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on June 28, 2016 at 6:47pm
आदरणीय सुरेश कल्याण भाई जी सादर आभार।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 27, 2016 at 2:22pm

आदरणीय सतविन्द्र भाई , दोहों पर बहुत सफल प्रयास हुआ है , दिल से बधाइयाँ आपको । आदरणीय केवल भाई जी ने उचित और विस्तृत सलाह दे ही दी है , खयाल कीजियेगा ।

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on June 27, 2016 at 9:04am
आदरणीय श्री सतविंदर जी बहुत ही सुन्दर विचारों को व्यक्त किया है। बधाई हो ।
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 26, 2016 at 11:07pm

आ० सतविंद्र भाई जी,  दोहों पर बहुत ही सुंदर प्रयास हुआ है. आपके दोहो पर मैंने भी कुछ प्रयास करके साधने की कोशिश की है... देखा लीजियेगा......बहुत बहुत बधाई भाई जी.  सादर

जननी से ही तो मिला,जीवन ये अनमोल............जननी से सबको मिला, जीवन यह अनमोल.
कर्ज चुका सकते नहीं,यही समय के बोल।।..........कर्ज चुका सकते नहीं , चाहे जितना बोल.

माँ ममता की मूर्त है,भाए बस सन्तान.............मां ममता की मूर्ति में, बसे प्यार-सम्मान.
उनके खातिर त्याग दे,खुद का पीना-खान।।......अपने बच्चों के लिये, हो जाती कुर्बान.

भोलेपन का माँ सही,करती है उपचार.............बिलकुल सही.
ज्ञान-प्रथम है सौंपती,उन्नत सोच-विचार।।....प्रथम ज्ञान दे सौंपती.....उन्नत सोच विचार.

पहला शिक्षक मात ही,देती सन्तन ज्ञान.........पहली शिक्षक मात ही, दे संतों सा ज्ञान.
चलना-बढ़ना सीखते,रिश्ते लेते जान।।..........चलना-पढ़ना बोलना, रिश्ते हैं सोपान. 

बोल-चाल की सीख को,माँ से लेते जान..............बोल चाल यश नीति के......समझाती मांं राज.
लेकर समाज में चलें,तो ही मिलता मान।।.........मिले सफलता संघ में........कहते उसे समाज..


जननी सबकी माँ सही,जन्मभूमि भी मात...........बसुधा - नारी शक्ति से........जीवन मिला सुबोध.
इन दोनों के ही लिए,ध्यान धरो हे तात।।............इन दोनों का नित्य ही .......करे नमन गुणशोध.

//"लेकर समाज में चलें" // दोहों के प्रथम व तृतीय चरण में जगण शब्द निषिद्ध है....और यहांं  //समाज// जगण शब्द है...इसी लिये गेयता भंग हो रही है...शुभ.शुभ.....सादर

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on June 26, 2016 at 7:50pm
प्रोत्साहक टिप्पणी के लिए सादर हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी।सादर नमन
Comment by pratibha pande on June 26, 2016 at 7:05pm

माँ पर सुन्दर दोहावाली  रची है आपने हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको आदरणीय सतविंदर जी 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on June 26, 2016 at 6:36pm
आदरणीया राहिला जी आप को दोहे पसन्द आए,उसके लिए बहुत बहुत आभार।मैं अभी सीखने के प्रारम्भिक चरण में हूँ।आदरणीय गुणीजनों के सानिध्य और इस मंच का मार्गदर्शन ही इसमें प्रभावी रहता है।सादर।
Comment by Rahila on June 26, 2016 at 11:43am
बहुत सुंदर दोहे आदरणीय सतविंन्द्र जी!ये विधा मेरे लिए तो बहुत कठिन है।आपको इस में हाँथ आजमाते अच्छा लगा।खूब बधाई।सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
27 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
42 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।... मतले पर…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ, कुछ सुझाव पेश…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service