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चिन्तामग्न

 

तुमसे मिलने पर

और तुमसे न मिलने पर भी

काँपते हुए, डरे हुए

पिघलते हुए प्रश्न

 

व्यथाओं की उलझन के अंतर्वर्ती विस्तार में

दर्दीली रातों में द्वंद्व की आड़ी-टेड़ी लकीरें

अन्धकार गुहाओं में काल-नाग-सी सरसराती

लौटा लाती हैं पुराने भूले हुए किस्सों की उदासी

नहीं मालूम, नहीं मालूम तुम्हें, यहाँ रात-बेरात

द्वंद्वात्मक प्रश्नों में बूँद-बूँद-सी गलती है रात

 

सिमटे हुए, डरे हुए प्रश्नों के निर्जन प्रसारों पर

सदियों की पीड़ा की पुरातात्विक इमारत पर

सँवलाए समय के घोंसलों से आती परेशान आवाज़ें

“कुछ कहा.. क्या हुआ.. क्यूँ हुआ ?”.. मैं क्या करूँ ?

इन दुहराते कोलतारी प्रश्नों के उत्तरों की तलाश

शुद्ध परिष्कृत आत्म-चेतना के पार भी है ? ... क्यूँ ?

 

छिल चुके हैं इमान के नाखुन, बहता है लहु

छिपाता हूँ इसे  नए अधखुले रिश्ते में तुमसे

प्रश्नों की परतों-पर-परतों के पहाड़ को ठेल कर

आंतरिक तनाव में भी अपार स्नेह से सराबोर

कोई तो सुनहली झिलमिलाती संभावना है जिससे

तुमसे मिलने पर खिल-खिल जाता हूँ मैं, बार-बार

 

अनर्थक प्रश्नों के अभौतिक प्रसंगों को छोड़ कर

रिक्तता भरी दरारों में जमी उचटता को तोड़ कर

खुरदरी पगडण्डी पर चल-चल आता हूँ पास तुम्हारे

सुनाने संवेदित रोमांचिक स्नेह की अनथक धड़कन

सदैव संजोए भविष्य की वर्तमानता में तना विश्वास

यही है हमारे रिश्ते की वसीयत, यही हमारा इतिहास

-----------

-- विजय निकोर

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 481

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Comment by vijay nikore on May 23, 2016 at 3:41pm

रचना की सराहना के लिए हार्दिक आभार, आदरणीया कल्पना जी।

Comment by vijay nikore on May 23, 2016 at 3:41pm

रचना की सराहना के लिए हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश जी।

Comment by vijay nikore on May 22, 2016 at 4:10pm

//कायल कर दिया एक -एक शब्द ने, बहुत सुन्दर शब्द चयन, बेहद उम्दा मफहूम //

इन शब्दों से मान देने के लिए आपका हृदयतल से आभार, आदरणीया राहिला जी।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 8, 2016 at 9:14pm

अहा | बेहद सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकारें आदरणीय | 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 26, 2016 at 11:26pm

आदरणीय विजय निकोर सर, रिश्तों की उधेड़बुन को शाब्दिक करती शानदार प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई 

Comment by Rahila on April 26, 2016 at 6:41pm
कायल कर दिया एक -एक शब्द ने, बहुत सुन्दर शब्द चयन, बेहद उम्दा मफहूम । बहुत बधाई इस शानदार रचना के लिये । साथ ही फीचर पोस्ट के सम्मान के लिये पुनः मुबारकबाद कुबूल फरमायें ।सादर नमन

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