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जो कर सको तो दुआ करो (ग़ज़ल ) ..डॉ० प्राची

११२१२, ११२१२, ११२१२, ११२१२ 

मुझे ज़िन्दगी की तलाश है, मुझे ख़्वाब में न मिला करो।
न करो कभी कोई वायदा, जो करो तो फिर न फिरा करो।

वो जो चीर दे कोई पाक दिल, न ही तंज ऐसे कसा करो।
बड़ी मुश्किलों से भरा हो जो, न वो जख़्म फिर से हरा करो।

जो छुपा हुआ सा नज़र में है, वही राज़ हमसे कहा करो
कभी दिल करो नहीं अनसुना, कभी खुद को यूँ न छला करो।

न रुकें कदम, न झुके नज़र, न थके कभी भी ये हौसला
सभी मंज़िले अभी दूर हैं, युँ ही राह में न रुका करो।

जो बिगड़ गया कभी भूल से, तो सँवारने की हों कोशिशें
नहीं कोशिशों से सँवर सके, तो जो कर सको तो दुआ करो।

ये उठा के ऊँचा गिरा न दे, ये जिता के फिर से हरा न दे
यहाँ ख्वाहिशों की जमीन है, ज़रा तुम सम्हल के चला करो।

मेरी बेहिसाब हैं उलझनें, ये सुलझ सकें तो मिले करार
जहाँ साँझ की करूँ आरती, वहीं दीप बन के जला करो।

मौलिक और अप्रकाशित 

 

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Comment by vijay nikore on April 24, 2016 at 4:27pm

 //मुझे ज़िन्दगी की तलाश है, मुझे ख़्वाब में न मिला करो।
  न करो कभी कोई वायदा, जो करो तो फिर न फिरा करो ।//

खूबसूरत खयाल... खूबसूरत गज़ल ... पढ़ कर लुत्फ़ आ गया।

गज़ल इतनी अच्छी लगी कि औरों से भी साझी करी। बधाई।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 18, 2016 at 11:36am

आ0 प्राची बहन बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई l

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 14, 2016 at 10:06pm

अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीया प्राची जी, दाद कुबूल कीजिए।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 13, 2016 at 9:29am
बढ़िया ग़ज़ल हुई है, कहीं कुछ कमी सी लग रही है, लेकिन क्या?
Comment by Shyam Narain Verma on April 12, 2016 at 12:50pm
क्या बात है , बहुत उम्दा , हार्दिक बधाई ।

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