ग़ज़ल (क़ियामत से पहले )
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122 --122 --122 --122
जुदा हो गए हैं वो क़ुरबत से पहले |
क़ियामत उठी है क़ियामत से पहले |
तड़प आह ग़म अश्क वह इम्तहाँ हैं
जो होंगे मुहब्बत कि जन्नत से पहले |
कहीं बाद में हो न अफ़सोस तुम को
अभी सोच लो तरके उल्फ़त से पहले |
ख़ुशी ज़िंदगी भर भला किसने पाई
कई कोहे ग़म हैं मुसर्रत से पहले |
न इतराओ करके तसव्वुर किसी का
अभी ख़्वाब हैं कुछ हक़ीक़त से पहले |
गई महनते शेख़ बेकार साक़ी
सभी पी चुके थे नसीहत से पहले |
उन्हें ख़ूब तस्दीक़ पहचान लेना
नज़र फेर लें जो मुरव्वत से पहले |
(मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
मोहतरमा अमिता साहिबा ,ग़ज़ल में शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
जनाब रामबली साहिब ,ग़ज़ल में शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
खूब सुन्दर रचना ......हार्दिक बधाई
जनाब गुमनाम साहिब,ग़ज़ल को पसंद करने और हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ,महरबानी
मोहतरम जनाब गोपाल नारायण श्रीवास्तव साहिब,ग़ज़ल को गहराई से देखने , पसंद करने और हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ,महरबानी
वाह बहुत खूब ग़ज़ल हुई है बधाई ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
जानदार शानदार गजल
ख़ुशी ज़िंदगी भर भला किसने पाई
कई कोहे ग़म हैं मुसर्रत से पहले |
मोहतरमा राजेश कुमारी साहिबा , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
ख़ुशी ज़िंदगी भर भला किसने पाई
कई कोहे ग़म हैं मुसर्रत से पहले |----वाह्ह्ह
न इतराओ करके तसव्वुर किसी का
अभी ख़्वाब हैं कुछ हक़ीक़त से पहले |---शानदार
दिल से दाद हाजिर है इस शानदार ग़ज़ल के लिए आ० तस्दीक जी
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