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इक उम्र जी जाती हूँ ....

इक उम्र जी जाती हूँ ....

उसके जाने के बाद मैं
कितनी बेख़बर सी हो गयी हूँ
नींदें सुहाती नहीं
यादें सुलाती नहीं
आईना बेगाना सा लगता है
अक्स भी अंजाना सा लगता है
लिबास बदलूं
तो किस के लिए
शाम-ओ-सहर उदासियों के
मंज़र कहर ढाते हैं
ज़िस्म पर लम्स के अहसास
कतरनों से सजे नज़र आते हैं
चलती हूँ तो न जाने
कितने लम्हे साथ चलते हैं
एक आहट के इंतज़ार में
काफिले अश्कों के पिघलते हैं
शब् तो अब भी होती है मगर
अब हर करवट तन्हा सी होती है
अब बिस्तर पे
कोेई सलवट भी नहीं होती
अब तकियों पे
सावन के निशान होते हैं
अश्क यादों के पासबान होते हैं
बंद पलकों के दरीचों में
वो रूठे ख़्वाबों से चले आते हैं
मैं लाख न नुकर करती हूँ
वो हौले से मुझे सहलाते हैं
मैं तन्हाई के कफ़स में
आखिर टूट जाती हूँ
फ़रेब ही सही मगर
इक लम्हे में मैं
इक उम्र जी जाती हूँ


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Sushil Sarna on March 11, 2016 at 1:05pm

आ. Dr Ashutosh Mishra जी प्रस्तुति पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on March 11, 2016 at 1:04pm

आ.  रामबली गुप्ता जी प्रस्तुति में निहित भावों को स्वीकृति देती आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 11, 2016 at 10:05am

दिल को छू लेने वाली इस रचना के लिए हादिक बधाई आदरणीय सरना जी 

Comment by रामबली गुप्ता on March 10, 2016 at 11:12pm
एक-एक शब्द में भावों की गहराई लिए इस सुंदर हृदयस्पर्शी रचना के लिए तहे दिल से बधाई कुबूल फरमाएं आदरणीय सुशील सरना जी, वाह वाह बहुत खूब
Comment by Sushil Sarna on March 9, 2016 at 9:10pm

आ.  Kewal Prasad जी प्रस्तुति में निहित भावों को स्वीकृति देती आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 9, 2016 at 8:57pm

आ० सरना भाई  जी,   अतीव सुंदर एवं गहन भावों से सिक्त कविता को नमन. हार्दिक बधाई . सादर

Comment by Sushil Sarna on March 9, 2016 at 7:51pm

आ. ram shiromani pathak जी प्रस्तुति पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार। 

Comment by ram shiromani pathak on March 9, 2016 at 6:01pm
सुन्दर भावाभिव्यक्ति।।बधाई
Comment by Sushil Sarna on March 9, 2016 at 2:18pm

आ. राहिला जी प्रस्तुति में निहित भावों को स्वीकृति देती आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by Sushil Sarna on March 9, 2016 at 2:17pm

आ.लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति पर आपके स्नेह का दिल से आभार। 

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