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ग़ज़ल (मुहब्बत से किनारा कर रहा है )

ग़ज़ल (मुहब्बत से किनारा कर रहा है )

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1222 --------1222 --------122

मुहब्बत से किनारा कर रहा है |

हमें वह बे सहारा  कर रहा है |

तुम्हारा देखना रह रह के मुझको

वफ़ा को आश्कारा  कर रहा है |

न कोई देख ले यह डर मुझे है

वो खिड़की से इशारा  कर रहा है |

युं ही क़ायम रहे यह दोस्ताना

कहाँ आलम गवारा  कर रहा है |

वो लाके ग़ैर को महफ़िल में मेरी

कलेजा पारा पारा  कर रहा है |

अचानक हिचकियाँ आती नहीं हैं

कोई चरचा हमारा कर रहा है |

कहीं रुस्वा न ऐ तस्दीक़ कर दे

तअर्रुफ़ जो तुम्हारा कर रहा है |

(मौलिक व अप्रकाशित )  

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Comment

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Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 10, 2016 at 9:18pm

जनाब सुशील सरना  साहिब ,आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 10, 2016 at 9:17pm

जनाब जयनित कुमार साहिब ,आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Sushil Sarna on March 9, 2016 at 9:19pm

अचानक हिचकियाँ आती नहीं हैं
कोई चरचा हमारा कर रहा है |

वाह क्या बात है .... शानदार ग़ज़ल सर .... हार्दिक बधाई

Comment by जयनित कुमार मेहता on March 9, 2016 at 9:13pm
आदरणीय तस्दीक़ अहमद साहब, बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल से इस मंच को नवाज़ने के लिए दिली मुबारकबाद आपको।।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 9, 2016 at 8:25pm

जनाब  नरेन्द्र चौहान  साहिब ,आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत  बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 9, 2016 at 8:24pm

जनाब लक्ष्मण धामी साहिब ,आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत  बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by narendrasinh chauhan on March 9, 2016 at 1:16pm

खूब सुन्दर रचना

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 9, 2016 at 11:37am

अचानक हिचकियाँ आती नहीं हैं
कोई चरचा हमारा कर रहा है |
.... बहुत ही खूबसूरत अशआर कहे हैं ,इस दिलकश प्रस्तुति के लिए दिल से बधाई स्वीकार करें आ० भाई तस्दीक़ अहमद जी l

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 8, 2016 at 7:59pm

मोहतरम जनाब रवि शुक्ल  साहिब ,हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 8, 2016 at 7:58pm

जनाब ब्रजेश कुमार साहिब ,हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया

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