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नहीं इतर इससे कभी, ना कम ना अतिरिक्त
जीवन प्रभु की प्रीत से, रहे सदा संसिक्त

मन के कञ्चन भाव सब, आँके ना निर्मोल
सौदागर की लो प्रथम, नीयत ज़रा टटोल

पंछी उड़ उन्मुक्त अब, अपने पंख पसार
खींच लकीरें आज नव, अम्बर के उस पार

दृढ़ इच्छित पग थाप पर, पर्वत देंगे राह
मूर्त ढले हर कामना, प्रबल रहे जो चाह

बन जाओ दिनमान के, स्वतः एक पर्याय
उज्वल स्वर्णिम तेजमय, लिख दो हर अध्याय

सरल सहज व्यक्तित्व हो, बातें सब हों गूढ़
मन अंतर झकझोर दें, सदा सत्य आरूढ़

तुम ही सागर से गहन, तुम असीम विस्तार
तुम चातक की स्वाति हो, यही तुम्हारा सार

प्रीत पतंगा ज्यों करे दीपक से दिन रात
मन आकुल त्यों प्रीत में जलता है निश् प्रात

मौलिक और अप्रकाशित

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Comment by kanta roy on February 4, 2016 at 11:18am
सभी दोहे सारगर्भित बने है यहाँ आपके आदरणीया प्राची जी । पढकर मन आनंद आनंद हुआ । बधाई स्वीकार करें ।
Comment by MUKESH SRIVASTAVA on February 4, 2016 at 11:12am

khoobsoorat aur achhee dohe - badhaee


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 4, 2016 at 12:01am

आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी, बहुत ही शानदार दोहावली हुई है. आपका शब्द संयोजन अद्भुत है. इस शानदार प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. सादर नमन 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 3, 2016 at 3:33pm

दोहे पसंद कर हौसला अफजाई करने के लिए धन्यवाद आ० समर कबीर जी , आ० सतविंदर कुमार जी , आ० सुशील सरना जी , आ० हरि प्रकाश दूबे जी, आ० लक्ष्मण धामी जी 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 3, 2016 at 12:33am

आ० प्राची बहन सुन्दर दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई l

Comment by Hari Prakash Dubey on February 2, 2016 at 12:59am

आदरणीया डॉ. प्राची सिंह जी, बहुत ही सुन्दर दोहावली है, बहुत बहुत बधाई आपको ! सादर 

Comment by Sushil Sarna on February 1, 2016 at 8:13pm

मन के कञ्चन भाव सब, आँके ना निर्मोल
सौदागर की लो प्रथम, नीयत ज़रा टटोल

वाह आदरणीया प्राची सिंह जी वाह ... जीवन को परिभाषित करते इन गूढ़ और संदेशप्रद दोहों की प्रस्तुति पर आपको नमन करता हूँ। सुंदर शब्द चयन भावों की गरिमा को अलंकृत करते प्रतीत होते हैं। मनभावन इस प्रस्तुति के लिए दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 1, 2016 at 8:06pm
बहुत सुंदर उपदेशक दोहे।हार्दिक बधाई आदरणीया प्राची सिंह जी।
Comment by Samar kabeer on February 1, 2016 at 2:40pm
मोहतरमा डॉ.प्राची सिंह जी आदाब,बहुत अच्छे दोहे लिखे आपने बधाई स्वीकार करें !

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