For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल - हिरोइन को जान बनाये बैठे हैं ( गिरिराज भंडारी )

आदरनीय वीनस भाई जी की एक गज़ल की ज़मीन पर कहने की एक कोशिश
*****************************************************************************

22  22  22 22 22  2

दुश्मन को महमान बनाये बैठे हैं

गुलशन को वीरान बनाये बैठे हैं

 

सिर्फ जीतने की ख़्वाहिश है जिनकी , वो  

गद्दारों को जान बनाये बैठे हैं

 

इंसानी कौमें हैं खुद पे शर्मिन्दा

ऐसों को इंसान बनाये बैठे हैं

 

जिस्म काटने की चाहत में भारत का

दिल में पाकिस्तान बनाये बैठे हैं

 

उधर मिसाइल , बम की बातें सुन के भी
शांति दूत को शान बनाये बैठे हैं

 

भगत सिंग का देश प्रेम सब भूल गये

हिरोइन को जान बनाये बैठे हैं

 

उस्तादों का हाथ रहा है सर पर , तो

हम जैसे दीवान बनाये बैठे हैं

 **************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

 

Views: 839

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ram Ashery on January 20, 2016 at 4:27pm

very nice

congratulation 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 20, 2016 at 3:58pm

ाअदरनीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका बहुत बहुत आभारी हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 20, 2016 at 3:57pm

आदरणीय मिथिलेश भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार । आ, समर भाई की सलाह स्वीकार है मुझे , सुधार कर लूंगा 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 20, 2016 at 3:55pm

आदरनीय समर कबीर भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ।
आपकी सलाहें सभी स्वीकार है , तदानुसार सुधार कर लूँ गा , आपका आभारी हूँ । बस  

सिर्फ / 2 1   जीतने 212   की2   ख़्वाहिश 22  है 2  जिनकी 22 , वो 2    ( 22 मात्रा )    --   मात्रा   सही  लग रही है  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 20, 2016 at 3:42pm

आदरणीय बैज नाथ शर्मा जी , उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 20, 2016 at 3:41pm

आदरणीय तेज़ वीर भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 20, 2016 at 6:55am

जिस्म काटने की चाहत में भारत का

दिल में पाकिस्तान बनाये बैठे हैं

 भगत सिंग का देश प्रेम सब भूल गये

हिरोइन को जान बनाये बैठे हैं

इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आ० भाई गिरिराज जी l


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 19, 2016 at 11:44pm

आदरणीय गिरिराज सर, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. आदरणीय समर कबीर जी की सलाह बहुत बढ़िया है. सादर 

Comment by Samar kabeer on January 19, 2016 at 8:59pm
जनाब गिरिराज भण्डारी जी आदाब,जनाब वीनस जी की ज़मीन में अच्छे अशआर निकले हैं आपने,बधाई स्वीकार करें !
कुछ मिसरों की तरफ़ आपका ध्यान दिलाना चाहता हूँ दूसरे शैर का ऊला मिसरा बह्र के लिहाज़ से चेक करें,पांचवें शैर का सनी,छटे शैर के सानी मिसरे में"हिरोइन"को हीरोइन लिखना उचित होगा क्या ?इसी तरह आख़री शैर के ऊला मिसरे में "तो"की जगह "जो" करना कैसा रहेगा ?,
अच्छे अशआर के लिये पुनः बधाई |
Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on January 19, 2016 at 6:17pm

आदरणीय भंडारी साहेब ....................क्या बात!!!

भगत सिंग का देश प्रेम सब भूल गये

हिरोइन को जान बनाये बैठे हैं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
16 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service