For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पहेली दिल की सुलझाऊँ तो कैसे
मैं इससे हार भी जाऊं तो कैसे।

लिपट जातें हैं पावों से बगूले
मैं बाहर दश्त से आऊँ तो कैसे।

पुकारे आसमां बाहें पसारे
परों बिन पास मैं जाऊं तो कैसे ।

धड़कता है वो दिल में दर्द बनकर
मैं उसको भूल भी जाऊं तो कैसे ।

गुलो पर बूँद मैं शबनम की बनके
हवा में फिर से घुल जाऊं तो कैसे।

उमड़ती ज़ह्ण में ख़्वाबों की नदियां
समन्दर मुट्ठी में लाऊँ तो कैसे

बदन पर पैरहन यादों का तेरा
नज़र आईने को आऊँ तो कैसे।

जवानी लौट के आये न फिर से
कि सहरा में नदी लाऊँ तो कैसे

मैं गुड़िया मोम की सीमा वो पत्थर
उसे जलकर भी पिंघलाऊं तो कैसे ।

मौलिक और अप्रकाशित

सीमा शर्मा मेरठी

Views: 744

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 18, 2016 at 3:45pm

बहुत ही खूबसूरती से अहसासों को पिरोया है हार्दिक बधाई 

Comment by सीमा शर्मा मेरठी on April 6, 2016 at 1:37pm
शुक्रिया जी
Comment by vijay nikore on April 6, 2016 at 1:15pm

खूबसूरत गज़ल के लिए बधाई।

Comment by सीमा शर्मा मेरठी on March 12, 2016 at 6:57pm
शुक्रिया आभार आदरणीय
Comment by जयनित कुमार मेहता on December 31, 2015 at 8:58pm
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल बन पड़ी है,आदरणीय सीमा जी। बधाई आपको।।
Comment by MUKESH SRIVASTAVA on December 31, 2015 at 11:46am

khoobsooart GAzala Seema jee - badhaee

Comment by gumnaam pithoragarhi on December 30, 2015 at 7:21pm

वाह खूब वाह अच्छा है वाह ............

Comment by सीमा शर्मा मेरठी on December 30, 2015 at 12:58pm
शुक्रिया श्याम साहेब
Comment by Shyam Narain Verma on December 30, 2015 at 12:49pm
बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल ....हार्दिक बधाई ! 
Comment by सीमा शर्मा मेरठी on December 30, 2015 at 12:09pm
laxman saheb dil sey shukriya aapka bhi

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
7 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई के साथ-साथ धन्यवाद भी। कि, इस पटल पर, इस खुले आयोजन…"
8 hours ago
Chetan Prakash commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"वाकई  खूबसूरत शुद्ध हिन्दी गजल हुई, आदरणीय! "कर्म हम रणछोड  के अनुसार भी करते…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीया रक्षिता जी,  आपकी इस कविता में प्रदता शीर्षक की भावना निस्संदेह उभर कर आयी…"
10 hours ago
Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक शेर की विषय - वस्तु…"
12 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"धन्यवाद भाई लक्ष्मण धामी जी "
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service