For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बिटिया के छोटे-छोटे बच्चे,दो वक़्त की रोटी जुटाने की मशक्कत,और बेटी की जान पर मंडराता खतरा देखकर परमेसर सिहर उठा।उसने अपनी एक किडनी देकर उसके जीवन को बचाने का संकल्प कर लिया।
" तुम तो पहले ही अपनी एक किडनी निकलवा चुके हो,तो अब क्या मजाक करने आये थे यहाँ ?" डॉक्टर ने रुष्ट होकर कहा।
" जे का बोल रै हैं डागदर साब,हम भला काहे अपनी किटनी निकलवाएंगे।
ऊ तो हमार बिटिया की जान पर बन आई है।छोटे-2 लरिका हैं ऊ के सो हमन नै सोची की एक उका दे दै।"
" पर तुम्हारी तो अब एक ही किडनी है,और ये देखो ऑपरेशन के निशान भी हैं "
" अरे ऊ कौनौ किटनी न निकलवाई हमने।ऊ तो मुला नसबन्दी का आपरेसन हुआ था।ऊ जा साल सूखा पड़ा था,तबहीं एक सिविर लगा था।सबका मुफत में नसबन्दी का आपरेसन करके हज्जार रुपैया दै रै थे।तबहिं हमन नै करवा के हज्जार रुपया ....." कहते कहते वह रुक गया।मुफ़्त के शिविर में ऑपरेशन के पीछे का सच अब उसे समझ में आ गया था।
( मौलिक एवम अप्रकाशित )

Views: 808

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on December 16, 2015 at 3:10pm

अच्छी लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीया ज्योत्सना जी।

Comment by jyotsna Kapil on December 8, 2015 at 9:50am
आदरणीय शुभ्रांशु पांडे जी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया ने मेरी बहुत हौसलाअफजाई की इसके लिए हृदय से आभारी हूँ आपकी।
Comment by jyotsna Kapil on December 8, 2015 at 9:49am
दिल से शुक्रिया आपका आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।
Comment by jyotsna Kapil on December 8, 2015 at 9:48am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आप जैसे गुणीजन की प्रतिक्रिया बहुत हौसला बढ़ा देती है मेरा।हृदयतल से आभार आपका।
Comment by jyotsna Kapil on December 8, 2015 at 9:47am
मेरी हौसलाअफजाई के लिए तहेदिल से शुक्रिया आदरणीय नीता दी।आपकी सुंदर टिप्पणी ने मेरा लेखन सफल कर दिया।
Comment by jyotsna Kapil on December 8, 2015 at 9:46am
आदरणीय राहिला जी आपने अपने स्नेहिल शब्दों से मेरा बहुत हौसला बढ़ा दिया।दिल से शुक्रिया मित्र।
Comment by Shubhranshu Pandey on December 6, 2015 at 5:02pm

आदरणीया ज्योत्सना जी,

चिकित्सा क्षेत्र में हो रही चालबाजियों  को दर्शाती एक सुन्दर कथा. इस तरह के अनेक शिविरों का आयोजन अपने छिपे हुये उद्देश्यों के लिये ही लगायी जाती है. 

सादर.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 6, 2015 at 8:20am

इस सुन्दर लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई l


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 5, 2015 at 8:14pm

आदरणीया , मुफ्त शिवरों की कड़वी सच्चाई  सच मे ऐसी ही कुछ है । आपकी लघुकथा अच्छी लगी । हार्दिक बधाई

Comment by Nita Kasar on December 5, 2015 at 1:04pm
पैसे के लिये मुफ़्त शिविर का कैसे फ़ायदा उठाते है ये नासमझ लोग ।समाजिक संस्थायें सरकार भी शिविर आयोजित करवाती है पर इस तरह लोग छलावे में आ जाते है कथा के ज़रिये सही प्रश्न उठाया है बधाई आपको आद०जयोत्सना जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं, हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत मनमोहक रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"कुंडलिया. . . . होली होली  के  हुड़दंग  की, मत  पूछो  कुछ बात ।छैल - …"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"होली के रंग  : घनाक्षरी छंद  बरसत गुलाल कहीं और कहीं अबीर है ब्रज में तो चहुँओर होली का…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"दोहे*****होली पर बदलाव  का, ऐसा उड़े गुलाल।कर दे नूतन सोच से, धरती-अम्बर लाल।।*भाईचारा,…"
20 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"कलियुग भी द्वापर काल लगे होली में रंग गुलाल लगे, सतरंगी सबके गाल लगे। होली में रंग गुलाल लगे। इस…"
21 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Mar 9
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Mar 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Mar 6
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service