For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 सुबह  अचानक एक  सपने से उनकी नींद टूट गई    I बडा अजीब सपना था I बेटी  रिनी खाई में गिरी है, ,जोर जोर से चिल्ला रही है ,पर वो उसे बचा नहीं पा रहे हैं I   उन्होंने समय देखा I  सुबह के चार बजे थे I हल्की  ठण्ड के बावजूद माथे पर पसीना था I धीरे से उठ कर वो आगे कमरे में आ गए I   23 साल की बेटी  रिनी ,बेफिक्री से सो रही थी I उसके बच्चों जैसे मासूम  चेहरे को देखते हुए वो धीरे से कुर्सी पर बैठ गए और लैप टॉप खोल लिया I

परसों ही उनके दोस्त शर्मा जी का दिल्ली से फोन आया था I उनकी बेटी का रिश्ता इसी शहर के संपन्न और नामी परिवार के बेटे के साथ तय हो गया था I शर्मा जी बहुत उत्साह में थे I उस संपन्न परिवार और उनके बेटों की हकीकत से वो परिचित थे, पर फोन में अपने भोले मित्र से कुछ कह नहीं पाए थे वो I रह रह कर शर्मा जी और उनकी बेटी का चेहरा उनकी आँखों के आगे घूम रहा था I पत्नी का मानना था कि ऐसे पचड़ों से दूर रहना बेहतर है i

अब लैप टॉप के की बोर्ड पर उनकी उंगलियाँ चलने लगी थीं Iतीन दिन से दिमाग़ में शर्मा जी को भेजने के लिए जो  ईमेल का मजमून  घूम रहा था , वो  धीरे धीरे  शक्ल लेने लगा  I तीन चार बार उसे दोहराया उन्होंने I सेंड पर क्लिक करने के पहले उंगलियाँ फिर ठिठक गईंI बाहर ठण्ड बढ़ गई थी I रिनी का लिहाफ एक तरफ गिरा पड़ा था और वो  घुटनों को पेट से चिपकाये जलेबी बनी हुई  थी I वो धीरे से उठे ,बेटी को अच्छी तरह लिहाफ उढा दिया और खिड़की बंद कर दी I कुर्सी पर वापस बैठते हुए  उनके  दिमाग़ में कोई द्वन्द नहीं था I सेंड पर क्लिक किया और बाहर देखने लगे I प्राची में सुबह की लालिमा दिखने लगी थी I

मौलिक व् अप्रकाशित 

Views: 755

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on November 22, 2015 at 2:26pm

आप ने कथा पढ़ कर मेरा उत्साहवर्धन किया ,आपका हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज जी  

Comment by pratibha pande on November 22, 2015 at 2:23pm

उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 20, 2015 at 8:01am

आदरणीया प्रतिभा जी ,  मन के उथल पुथल का सपने मे आना , स्वप्न मनोविज्ञान पर आधारित आपकी लथा बहुत अच्छी लगी , हार्दिक बधाई ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 19, 2015 at 10:53pm

इस लघुकथा को मैं दिमाग से नहीं दिलसे पढ़ गया. यही इसकी मांग है. मनोभावों और दैहिक भंगिमाओं का लघुकथा के दायरे में जैसा निर्वहन हुआ है वह प्रस्तुति की विशिष्टता की तरह उभर कर बाहर आया है. हृदय से बधाइयाँ अशेष शुभकामनाएँ

 

Comment by pratibha pande on November 18, 2015 at 9:44am

आदरणीय उस्मानी जी ,कथा के मर्म पर जाकर सुन्दर टिपण्णी से उत्साहवर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार 

Comment by pratibha pande on November 18, 2015 at 9:40am

आपको कथा पसंद आई ,मेरे लिए ख़ुशी की बात है ,आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर जी 

Comment by pratibha pande on November 18, 2015 at 9:33am

रचना पर आकर उत्साहवर्धन और सराहना करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 18, 2015 at 9:33am
अक्षर शब्द को अक्सर पढ़े कृपया
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 18, 2015 at 9:31am
हार्दिक बधाई आदरणीया प्रतिभा जी इस उम्दा रचना के लिए।अक्षर हमारे कारण अज्ञानता से हुआ किसी का भी अपकार सालता रहता है और यदि ऐसा जानबूझकर कर दिया जाए तो आत्मग्लानि ठीक से जीने नहीं देती।
Comment by pratibha pande on November 18, 2015 at 9:31am

प्रिय राहिला जी ,रचना पसंद करने और सुन्दर टिपण्णी के लिए आपका तहे दिल से आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service