For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम्हारे शहर में खाना ख़राब हूँ मैं तो (फिल बदीह ग़ज़ल 'राज')

1212   1122    1212    22

तमाम उम्र जलूँ आफ़ताब हूँ मैं तो,

पढ़ी न जाय कभी वो किताब हूँ मैं तो

 

न ढूँढिये मुझे केवल सराब हूँ मैं तो,

किसी चमन का फ़सुर्दा गुलाब हूँ मैं तो      .

 

खुदी के प्रश्न का खुद ही जबाब हूँ मैं तो,

हुजूर अपनी जमीं का नबाब हूँ मैं तो

 

एजाज नूर का जिसके जुबाँ जुबाँ पर है,

उस आईने का फ़क़त इक निकाब हूँ मैं तो

 

दिखा सके न कभी आँख गैर कोई भी

,वतन की हद पे लिखा इक रुआब हूँ मैं तो

 

बुला के बज्म में अपनी भला क्या कीजैगा

,तुम्हारे शहर में खाना ख़राब हूँ मैं तो

 

मुझे बुला के भला ख़्वाब में क्या पाओगे

मुसीबतों का सबब बेहिसाब हूँ  मैं तो

 

करेगा कैसे उजाला ये डूबता सूरज,

रखो न आस मेरी इक हुबाब हूँ मैं तो

---------------मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

 

 

 

 

Views: 826

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2015 at 12:54pm

आ०  गिरिराज जी,आप जैसे ग़ज़लकार से दाद पाना मेरे लिए मायने रखता है आपका दिल से बहुत- बहुत शुक्रिया.  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 21, 2015 at 12:21pm

आदरणीया राजेश जी , क्या बात है !! बहुत खूब सूरत ग़ज़ल कही है , दिली मुबारक बाद स्वीकार करें ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2015 at 10:22am

अजय शर्मा जी,बहुत- बहुत शुक्रिया.  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2015 at 10:21am

आ० धर्मेन्द्र सिंह जी,ग़ज़ल आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत आभार  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2015 at 10:20am

आ० नीरज कुमार नीर जी,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका बहुत- बहुत शुक्रिया|  

Comment by ajay sharma on September 20, 2015 at 10:23pm

बुला के बज्म में अपनी भला क्या कीजैगा

,तुम्हारे शहर में खाना ख़राब हूँ मैं तो..........wah wah

 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 20, 2015 at 10:12pm

अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीया राजेश कुमारी जी, दाद कुबूल कीजिए

Comment by Neeraj Neer on September 20, 2015 at 4:53pm

वाह बहुत सुंदर गजल हुई है ॥

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 19, 2015 at 11:14pm
जी आदरणीया अतिशयोक्ति की बात से शेर और स्पष्ट हुआ।आजकल व्यस्तता काफी बढ़ गयी है इसलिए बहुत कम आना हो पा रहा है ओबीओ पर आगे प्रयास रहेगा और सक्रीय होने के लिए । सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 19, 2015 at 8:29pm

कृष्ण मिश्रा जी,ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और  दाद  से बेहद प्रसन्न हूँ |आपके संशय का निवारण करना मेरा धर्म है --क्या को गिराना मेरे हिसाब से तो जायज है दूसरी बात सामने आकर तो मुसीबतों का सबब होता ही है किन्तु ख़्वाब की बात अतिश्योक्ति की तरह प्रयोग की है ---जैसे ख़्वाब में भी मुझे बुलाओगे तो मुसीबत होगी ---ग़ज़लों में बाते घुमा फिर कर कहें तो शेर का और वजन बढ़ता है ऐसा मैं मानती हूँ | आपका तहे दिल से शुक्रिया ...आजकल ओबिओ पर आप कम दिखाई दे रहे हैं 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
24 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"मौजूदा जीवन के यथार्थ को कुण्डलिया छ्ंद में बाँधने के लिए बधाई, आदरणीय सुशील सरना जी. "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  ढीली मन की गाँठ को, कुछ तो रखना सीख।जब  चाहो  तब …"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"भाई शिज्जू जी, क्या ही कमाल के अश’आर निकाले हैं आपने. वाह वाह ...  किस एक की बात करूँ…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपके अभ्यास और इस हेतु लगन चकित करता है.  अच्छी गजल हुई है. इसे…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई , क्या बात है , बहुत अरसे बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ा रहा हूँ , आपने खूब उन्नति की है …"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service