For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आश्वासन [लघुकथा]

"मम्मा ,देखो आपके वाइट बाल.. वन ,टू.."  लाड़ से उसके बालों में कंघी करते हुए,  उसकी सात साल की बेटी चिल्लाई I

"मेरे बालों  में दर्द हो रहा है, अब छोड़ " किताब में आँखें  गड़ाए वो बोली I

बिटिया अचानक चुप हो गई थी I कंघी करते हुए हाथ भी रुक गए थे I

"क्या हुआ "? उसने बेटी को आगे खींचते हुए पूछा I

"मम्मा ,जिसके बाल वाइट हो जाते हैं वो ओल्ड हो जाता है ना  ? बंटी की दादी के भी बाल वाइट हैं ,वो अलग कमरे में रहती हैं ,कोई उनके पास भी नहीं जाता I मम्मा क्या आप भी कभी ओल्ड हो जाओगी. .? और ...और फिर.... "  वो उससे चिपट कर रोने लगी I

 उसका दिल कह रहा था कि प्यार से बेटी के सिर  में हाथ फेरकर उसे हमेशा की तरह आश्वस्त करे, पर दिमाग़ पूछ रहा था कि ...क्या आश्वासन देगी ?

 

मौलिक व् अप्रकाशित

Views: 697

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on September 5, 2015 at 12:31pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ,इस कथा को लिखते समय दिमाग़ के किसी कोने में मेरा टारगेट था न्यूक्लीयर  परिवार का ढांचा ,जो मेरे अनुसार बच्चों में बढ़ती जा रही असुरक्षा और असंवेदनशीलता का कारण है I जिस परिवार में बच्चे दादा दादी के साथ बड़े  होते हैं वहां उनके मन में ऐसे प्रश्न नहीं उठते हैं क्यों किउनके लिए बूढा होना स्वाभाविक प्रक्रिया है I कथा में ये मर्म उभर कर नहीं आ पाया I आपके कथा के  विश्लेषण और उत्साह वर्धन के लिए मै पुनः आभार प्रेषित करती हूँ सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 4, 2015 at 11:13pm

//आँसूओं से सने बेटी के चेहरे के ऊपर अचानक उसकी सास का चेहरा उग गया जिसने बेटे के न्यूक्लीयर   परिवार में थोड़ी सी जगह पाने की आस में गाँव में ही दम तोड़ दिया था I  उस चेहरे की चीरती नज़र अब वो नहीं झेल पाएगी I  //

आपने इतनी अच्छी कोशिश की इसके लिए हर्दिक धन्यवाद आदरणीया.

लेकिन, आदरणीया बुरा न मानियेगा, यह परिणाम मेरी आशानुरूप नहीं है. इससे बेहतर फिर तो पहले वाला अंत ही था. 

वस्तुतः मैं कमसेकम शब्दों में अधिक प्रभाव चाह रहा था.

Comment by pratibha pande on September 4, 2015 at 11:02pm

 आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ,आपके कहे अनुसार अंतिम पंक्तियों को कुछ इस तरह साधने की कोशिश की है

 "मम्मा ,देखो आपके वाइट बाल.. वन ,टू.."  लाड़ से उसके बालों में कंघी करते हुए,  उसकी सात साल की बेटी चिल्लाई I

"मेरे बालों  में दर्द हो रहा है, अब छोड़ " किताब में आँखें  गड़ाए वो बोली I

बिटिया अचानक चुप हो गई थी I कंघी करते हुए हाथ भी रुक गए थे I

"क्या हुआ "? उसने बेटी को आगे खींचते हुए पूछा I

"मम्मा ,जिसके बाल वाइट हो जाते हैं वो ओल्ड हो जाता है ना  ? बंटी की दादी के भी बाल वाइट हैं ,वो अलग कमरे में रहती हैं ,कोई उनके पास भी नहीं जाता I मम्मा क्या आप भी कभी ओल्ड हो जाओगी. .? और ...और फिर.... "  वो उससे चिपट कर रोने लगीI आँसूओं से सने बेटी के चेहरे के ऊपर अचानक उसकी सास का चेहरा उग गया जिसने बेटे के न्यूक्लीयर   परिवार में थोड़ी सी जगह पाने की आस में गाँव में ही दम तोड़ दिया था I  उस चेहरे की चीरती नज़र अब वो नहीं झेल पाएगी I 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 4, 2015 at 9:01pm

अवश्य आदरणीया प्रतिभाजी. 

Comment by pratibha pande on September 4, 2015 at 8:15pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , रचना पर सार्थक प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार , अंतिम पंक्ति को फिर से साधने की कोशिश के साथ फिर उपस्थित होती हूँ सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 3, 2015 at 11:22pm

आदरणीया प्रतिभाजी, लघुकथा के विन्यास ने मुग्ध कर दिया. इसकी ढेर सारी बधाइयाँ.  

लेकिन इस प्रस्तुति की अंतिम पंक्ति का विन्यास और भी सान्द्र तथा और भी संप्रेषणीय हो सकता था. सच कहूँ तो अनुभवहीनता आड़े आ गयी.

मुझे विश्वास है, आप इस पंक्ति को और बेहतर कर सकती हैं. यह पंक्ति यदि कायदे से सध जाये तो आपकी यह लघुकथा आपकी बेहतरीन लघुकथाओं में गिनी ही नहीं जायेगी, बल्कि लम्बे समय तक याद की जायेगी. 

शुभेच्छाएँ 

Comment by kanta roy on September 3, 2015 at 10:38pm

जाने ये क्या हो जाता है और कब घर की स्वामिनी सहसा धीरे - धीरे हासिये पर धकेली जा चुकी होती है । ये एक अनुत्तरित प्रश्न है जो दिल को चीर जाता है । ऐसी परिस्थितियों के लिए उम्रदराज होने पर अपने जीवन के लिए नये आयाम ढुंढने की बेहद जरूरत है । हमेशा की तरह शानदार लघुकथा की प्रस्तुति हुई है आदरणीया प्रतिभा जी । बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 3, 2015 at 5:33pm

आदरणीया प्रतिभा जी  दिल को छूती हुई मार्मिक लघुकथा कही है आपने. आश्वासन के बिंदु पर लाकर कथ्य को चरम पर जिस झटके से छोड़ा है जो दिमाग झन्ना रहा है. अद्भुत प्रस्तुति. दिल से बधाई ... ढेर सारी बधाई 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 3, 2015 at 5:31pm
सुन्दर , बच्चों के हर प्रश्न के उत्तर नहीं मिलते , बधाई, आदरणीय सुश्री प्रतिभा पाण्डेय जी, सादर।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 2, 2015 at 9:43pm

बहुत अच्छी र्लाघुकथा बन पड़ी आदरणीया प्रतिभा जी. कभी एसा समय आ ही जाता है कि कोई क्या आश्वासन दे ,समझ ही नही पाता. प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर ओ बी ओ का मेल वाकई में नहीं देखा माफ़ी चाहता हूँ आदरणीय नीलेश जी, आ. गिरिराज जी ,आ.…"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन आपकी प्रेरक प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ ।  इंगित बिन्दुओं पर…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"ओबीओ का मेल चेक करें "
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर सादर नमन....दोष तो दोष है उसे स्वीकारने और सुधारने में कोई संकोच नहीं है।  माफ़ी…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"भाई बृजेश जी, आपको ओबीओ के मेल के जरिये इस व्याकरण सम्बन्धी दोष के प्रति अगाह किया था. लेकिन ऐसा…"
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय धामी जी स्नेहिल सलाह के लिए आपका अभिनन्दन और आभार....आपकी सलाह को ध्यान में रखते हुए…"
7 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय गिरिराज जी उत्साहवर्धन के लिए आपका बहुत-बहुत आभार और नमन करता हूँ...आपसे आदरणीय नीलेश…"
7 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय नीलेश जी सर्व प्रथम रचना पटल पे उपस्थिति के लिए आपका हार्दिक आभार....वैसे ये…"
7 hours ago
Admin posted discussions
18 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
19 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
" आदरणीय सुशील सरना जी सादर, जीवन के सत्य पर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service