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ग़ज़ल - नींद वाली थीं कभी रातें नहीं -- गिरिराज भंडारी

2122 2122 212
आप सीमायें अगर लांघें नहीं
बाड़ हम भी आपकी फांदें नहीं

वो समर के वास्ते तैयार हैं
हाथ मेरे आप यूँ बांधें नहीं

हक़ हलाली की कोई रोटी दिखा
भीख से जी कर तो यूँ नाचें नहीं

शेर बन के सामने आजा कभी
गीदड़ों सी पीठ पर घातें नहीं

चैन खातिर दिन तरसता रह गया
नींद वाली थीं कभी रातें नहीं

दिल पढ़ें , नज़रें पढ़ें , आँसू पढ़ें
अस्लिहा के बाब यूँ बांचें नहीं
अस्लिहा – हथियारों , बाब – अध्याय

आप इशारों को समझ के देखिये
सिर्फ मेरी उँगलियाँ देखें नहीं
***********************
मौलिक एवँ अप्रकाशित

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 13, 2015 at 2:02pm

आदरनीय शिज्जु भाई , हौसला अफज़ाई का तहेदिल से शुक्रिया आपका ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on August 13, 2015 at 12:53pm
वाह आदरणीय गिरिराज सर बहुत बढ़िया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 13, 2015 at 11:52am

आदरणीय रवि भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका ह्र्दय से आभारी हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 13, 2015 at 11:52am

आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई , हसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 13, 2015 at 11:51am

आदरणीया राजेश जी , गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ ।

आपकी सलाह बहुत उचित है , इन  जियादा सही  है । सुधार कर लूंगा ।

Comment by Ravi Shukla on August 13, 2015 at 11:29am

आदरणीय गिरिराज जी

सुन्‍दर ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद कुबूल करें

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 13, 2015 at 11:05am

दिल पढ़ें , नज़रें पढ़ें , आँसू पढ़ें
अस्लिहा के बाब यूँ बांचें नहीं
आप इशारों को समझ के देखिये
सिर्फ मेरी उँगलियाँ देखें नहीं

आ० भाई गिरिराज जी , इस सुन्दर गजल के लिए हार्दिक बधाई .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 13, 2015 at 10:48am

वो समर के वास्ते तैयार हैं
हाथ मेरे आप यूँ बांधें नहीं------एक फ़ौजी के मन के द्वन्द को चंद शब्दों में बखूबी बयां किया आपने इस शेर के लिए विशेष दाद 

वाह  वाह बहुत उम्दा सरहद के उसपार वालों को चेताती हुई ओजपूर्ण ग़ज़ल मजा आ गया पढके आ० गिरिराज जी दिल से बधाई लीजिये 

आप इशारों को समझ के देखिये---इन इशारों ....कर लीजिये 

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